कलेक्टर के अधिकार को दरकिनार कर मस्तूरी तहसीलदार कर रहा शासकीय जमीन का मद परिवर्तन
बिलासपुर| मस्तुरी तहसीलदार के काले कारनामो का परत-दर-परत नित नए खुलासे हो रहे है जिसमे मोहतरा की खसरा नंबर 7/5 पट्टे की जमीन जो पूर्व में बी-1 के रिकॉर्ड में पट्टे से प्राप्त भूमि दर्शा रहा था जिसे कूटरचना रच व तहसीलदार द्वारा अपनी स्वयं की आईडी से रिकॉर्ड में सुधार कर भूमिस्वामी का नाम दर्ज कर दिया जबकि भूमि में सुधार का अधिकार के लिए जिला कलेक्टर से आवेदन कर निर्देश के बाद ही सुधार की प्रक्रिया है लेकिन कलेक्टर के अधिकार को सीधा-सीधा मस्तुरी तहसीलदार मनोज खांडेकर द्वारा अपने हक़ में लेकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है| इसी तरह तहसील कार्यालय में दलालों का जबरदस्त जमावड़ा लगा रहता है जहा स्वयंभू ब्लॉक से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेता बताकर बकायदा चकाचौंध दिखाते हुए चार पहिया वाहनों में शासकीय अधिकारी की तर्ज पर सुबह 9 -10 बजे पहुच जाते हैं और क्षेत्र ले ग्रामीण,किसानो को तहसील का काम चुटकी में करा देने का झांसा देकर छोटे से छोटे काम के एवज में मोटी रकम की वसूली की जाती है|
ज्ञात हो कि मस्तुरी तहसील के ग्राम पंचायत दर्रीघाट, भनेशर, मोहतरा सहित विभिन्न हल्का क्षेत्र में भू-माफियाओं से साठ-गाठ कर मस्तूरी तहसीलदार द्वारा व्यापक पैमाने पर अवैध प्लांटिंग की जमीनों का डायवर्सन-नामान्तरण कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है| मस्तुरी तहसील के दर्रीघाट में खसरा नंबर 150/18 जो निस्तार पत्रक में शासकीय भूमि दर्ज है जिसे मस्तुरी तहसीलदार द्वारा डायवर्सन की अनुमति देकर बाकायदा टुकड़ो में अवैध रूप से प्लाटिंग कराकर रजिस्ट्री किया जा रहा है साथ ही टुकड़ो में नामांतरित किया जा रहा है, इस खसरे की वर्तमान स्थिति में लगभग 20 से 25 टुकड़ो की बिक्री की जा चुकी है जिसे शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लोगो द्वारा ख़रीदा गया है| इसी तरह मोहतरा में विवादित आबंटन की जमीन जिसका मामला न्यायालय में विचाराधीन है इस जमीन को भी तहसीलदार के द्वारा रजिस्ट्री कर दिया गया है| विदित हो कि मस्तुरी तहसीलदार मनोज खांडेकर के हस्ताक्षर बिना क्षेत्र की जमीन का नामातरण व रजिस्ट्री नहीं होती जिसके चलते तहसीलदार द्वारा प्रत्येक हस्ताक्षर के लिए मुह्मांगा राशि ली जाति है, राशि नहीं मिलने के एवज में नामातरण-रजिस्ट्री नहीं किया जाता है| क्षेत्र के कई सीलिंग की जमीनों को भी तहसीलदार द्वारा गुपचुप तरीके से नामान्तरण व बिक्री किये जाने का मामला सामने आया है| सूत्रों की माने तो मस्तुरी तहसीलदार मनोज खांडेकर द्वारा क्षेत्र के किसानो-ग्रामीणों से जमीन से सम्बंधित कार्यो के लिए मोटी रकम की वसूली की जा रही है वही गरीब-निर्धन वर्ग के कार्यो के लिए बिना चढोत्री किसी भी तरह के कार्य नहीं किये जाते है| तहसीलदार द्वारा क्षेत्र में जमकर भ्रष्टाचार को अंजाम देकर अकूत धन-सम्पदा भी अर्जित किया है जिसकी आर्थिक अपराध शाखा से जांच कराए जाने की दशा में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आ सकते है|