कोरोना काल में कब और कैसे करें वट सावित्री व्रत
क्या पड़ रहा ग्रहण का प्रभाव
आचार्य महेन्द्र मिश्रा ,रायगढ़/ श्री धर्म चेतना मंच हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को किया जाता है. इस दिन सुहागन स्त्रियां बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. वट सावित्री व्रत सौभाग्य प्राप्ति के लिए एक बड़ा व्रत माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल वट सावित्री व्रत 10 जून दिन गुरूवार को रखा जाएगा.क्या है वटवृक्ष का महत्व? हिंदू शास्त्रों के अनुसार, वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु तथा अग्रभाग में शिव का वास माना गया है. वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ देव वृक्ष माना जाता है. देवी सावित्री भी इस वृक्ष में निवास करती हैं. मान्यताओं के अनुसार, वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति को पुन: जीवित किया था. तब से ये व्रत ‘वट सावित्री’ के नाम से जाना जाता है. इस दिन विवाहित स्त्रियां अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए वटवृक्ष की पूजा करती हैं. वृक्ष की परिक्रमा करते समय इस पर 108 बार कच्चा सूत लपेटा जाता है. महिलाएं सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं. सावित्री की कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पति के संकट दूर होते हैं.
शुभ मुहूर्त:
वट सावित्री अमावस्या गुरुवार, 10 जून 2021
अमावस्या तिथि प्रारंभ- 9 जून 2021 दोपहर 01:57 से
अमावस्या तिथि समाप्त- 10 जून 2021 शाम 04:22 तक
व्रत पारण तिथि- 11 जून 2021 शुक्रवार
विशेष*कई लोगों के मन में इस बार यह शंका चल रहा है की अमावस्या के दिन यानी 10 जून को सूर्य ग्रहण लग रहा है परंतु यह ग्रहण एशिया महाद्वीप में दृश्य नहीं है और क्योंकि हमारा भारतवर्ष इसी महाद्वीप में है अतः ग्रहण दोष से मुक्त है।
कोरोना महामारी में कैसे करें पूजा
कोरोना काल के चलते अगर आप बरगद के पेड़ की पूजा करने नहीं जा सकते हैं तो अपने घर पर ही त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा कर सकते हैं. इसके अलावा, बरगद के पेड़ की टहनी तोड़ कर उसे गमले में लगा लें और विधिवत इसकी पूजा करें. पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल और धूप का इस्तेमाल करें. सबसे पहले वट वृक्ष की पूजा करें. फिर सावित्री-सत्यवान की कथा सुने और दूसरों को भी सुनाएं. अब फिर भीगा हुआ चना, कुछ धन और वस्त्र अपनी सास को देकर आशीर्वाद लें. पूजा के बाद किसी जरूरतमंद विवाहित स्त्री को सुहाग का सामान दान करें. इसके अलावा, किसी ब्राह्मण को वस्त्र और फल भी दान कर सकते हैं
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