जांजगीर चांपा जिले में अवैध उत्खनन, प्रशासनिक निर्देश की उड़ रही धज्जिया

राजेन्द्र देवांगन
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जांजगीर चांपा जिले में अवैध उत्खनन, प्रशासनिक निर्देश की उड़ रही धज्जिया,


असलम खान,जांजगीर चांपा– जिले में संक्रमण को देखते हुए पूरे जिले को कंटेनमेंट जोन जिला प्रशासन द्वारा घोषित किया गया है, ताजा उदाहरण सक्ती ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत पोरथा में आप देख सकते है , जहां बिना अनुमति मिट्टी,मुरुम एवं पत्थर का परिवहन किया जा रहा है।आपको बता दें NH-49 नेशनल हाईवे के निर्माणाधीन सड़क के लिए किया जा रहा है। इस कार्य को करने के लिए पोरथा में किसी भी प्रकार की खनन सम्बंधित विभागीय अनुमति नहीं ली गई है,ना ही कार्य के दौरान कोरोनाकॉल का पालन किया जा रहा है दोनों निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है।

उल्लेखनीय है नेशनल हाईवे NH-49 का यह कार्य रामकी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड हैदराबाद को करने का ठेका प्राप्त है। वही इस कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर बृजेश यादव के बताए अनुसार इस कार्य को करने के लिए खरसिया के ठेकेदार सुभाष अग्रवाल को ठेके पर कार्य दिया गया है। सबसे बड़ी बात यह है इस तरह के अवैध कार्य को करने के दौरान ठेकेदार के संबंधित कर्मचारियों के द्वारा गांव के लोगों को सड़क निर्माण का कार्य शासकीय कार्य होना बताकर खुलेआम नियम विपरीत लाभ लिया जा रहा है हलाकि सड़क सरकार की है कहीं निमार्ण की जिम्मेदारी ठेकेदार की है , ऐसे कार्यो से राजस्व की हानि हो रही है साथ ही विभागीय अनुमति के सारे नियम और निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ रही है। स्थानीय लोगो के मुताबिक ऐसे कार्यों पर प्रशासनिक अधिकारियों का भी संरक्षण ठेकेदारों को मिल रहा है जिसका कारण है बिना भय के ऐसे कार्यों को किया जा रहा है।खनिज संपदा की चोरी की शिकायत पर पुलिस विभाग के उच्च अधिकारी को जानकारी होने पर संबंधित थाना के स्टाफ मौके पर पहुंचे कार्य संबंधी जानकारी लिए जिस पर पुलिस वालों को भी ठेकेदार के लोग भ्रामक जानकारी देते है उक्त मामले में एक बात तो स्पष्ट है बिना अनुमति कार्य करने वालों की मनमानी शक्ति क्षेत्र में खुलेआम चल रही है इसे प्रशासन का संरक्षण नहीं माना जाए तो क्या है आपको बता दें किसी भी मिट्टी मुरूम या गौण खनिज की उत्खनन पूर्व अनुमति और परिवहन के दौरान अभिवहन पास अनिवार्य है लेकिन इस खनन को लेकर ठेकेदार सुभाष अग्रवाल के कर्मचारियों द्वारा इस प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए प्रशासन के नियमों को ठेंगा दिखाकर धारा 144 के बावजूद सड़क निर्माण को सरकारी कार्य बता कर भ्रमित करते हुए खुलेआम चोरी के इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है जबकि खनन संबंधित अनुमति के लिए एकमात्र जिला कलेक्टर अधिकृत होता है ग्राम के सरपंच द्वारा दिए गए कागज को अनुमति बताया जा रहा है जो कि खुलेआम सरकारी नियम और जिला प्रशासन के निर्देश के अनुपालन संबंधित संबंधित दावों को ठेंगा दिखा रही है ऐसे मामलों पर जहा एक तरफ राज्य सरकार को राजस्व की हानि हो रही है वही माइनिंग तहसीलदार और संबंधित सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्य करने की शैली पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है बावजूद कार्यवाही को लेकर शिथिलता से यह भी स्पष्ट हो रहा है प्रशासनिक निर्देश का भय ऐसे कार्य करने वालों को भी नहीं है। अब देखने वाली बात होगी सड़क निर्माण के नाम पर सैकड़ों ट्रिप विभिन्न जगहों से उत्खनन कर निर्माण कार्य में लगाने वाले ठेकेदार पर कार्रवाई होती है या सिर्फ खनन संबंधी तमाम नियम एवं निर्देश सामान्य वर्गों के लिए है।

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