रायपुर. राज्य सरकार ने राज्योत्सव (CG Foundation Day 2020) के अवसर पर शिक्षाकर्मियों को बड़ी सौगात दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुरूप लोक शिक्षण संचालनालय ने 8 हजार 226 शिक्षाकर्मी वर्ग एक (व्याख्याता, पंचायत एवं नगरीय निकाय) को 1 नवम्बर 2020 से स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन का आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश के बाद राज्य निर्माण के 20 साल बाद प्रदेश में अब कोई शिक्षाकर्मी नहीं रहेगा।
प्रदेश में दो वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने वाले कुल 16 हजार 278 शिक्षाकर्मियों का संविलियन होना है। शेष शिक्षाकर्मियों शिक्षकों के आदेश जिला और संभाग स्तर पर एक दो दिन में जारी होगा। इससे शिक्षकों को उनके वेतन में न्यूनतम 7 हजार से 25 हजार रुपए तक का लाभ मिलेगा।
लोक शिक्षण संचालनालय ने शनिवार को ई-संवर्ग अंतर्गत 4 हजार 565 और टी-संवर्ग अंतर्गत 3 हजार 661
इस प्रकार कुल 8 हजार 226 शिक्षाकर्मियों के संविलियन का आदेश जारी किया है। इस संविलयन आदेश के बाद प्रदेश में पंचायत विभाग एवं नगरीय निकाय विभाग के कार्यक्रम कोई भी शिक्षाकर्मी वर्ग एक नहीं रहेगा। अब इन पर स्कूल शिक्षा विभाग का पूर्ण प्रशासनिक नियंत्रण होगा।
दोनों समय कांग्रेस का शासन
अविभाजीत मध्य प्रदेश के समय कांग्रेस के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शिक्षकों का पद ड्राइंग कैडर घोषित किया था। इसके मुताबिक स्कूल शिक्षा में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकती थी। तब से शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति हो रही थी। आज संविलियन का आदेश कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शासनकाल में जारी हुआ है।
लड़नी पड़ी लंबी लड़ाई
शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए पंचायत और नगरीय निकायों के माध्यम से शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति शुरू हुई। ये शिक्षकों के मुताबिक काम करते थे, लेकिन वेतन बहुत कम था। लंबी लड़ाई के बाद भाजपा शासन ने 2018 विधानसभा चुनाव से पहले संविलियन की घोषणा की। कांग्रेस की सरकार बनाने के बाद पहला संविलियन जनवरी 2019 में हुआ। इसमें करीब एक लाख 20 हजार शिक्षाकर्मियों का संविलियन हुआ। इसके बाद दूसरा संविलियन जुलाई और अब पूरे शिक्षाकर्मियों का संविलियन होगा।
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