बिलासपुर।बीते एक साल से अस्वस्थ चल रहे मरकाम को बिलासपुर के वंदना हॉस्पिटल में कुछ दिन पहले भर्ती कराया गया था जहां बुधवार की शाम उन्होंने अंतिम सांस ली।
आदिवासियों के बीच दादा नाम से पुकारे जाने वाले हीरासिंह मरकाम का जन्म 14 जनवरी 1942 को कोरबा जिले के तिवरता ग्राम में एक कृषक देवसाय के घर हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई तथा भोपाल से स्कूली शिक्षा पूरी की। रविशंकर विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की। बाद में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय से उन्होंने 1984 में उन्होंने एलएल बी की परीक्षा भी उत्तीर्ण की, जिसमें उन्हें गोल्ड मेडल भी मिला था।
शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक बने जहां शिक्षकों के हक के लिये उन्होंने आंदोलन शुरू कर दिया। इस बीच वे गोंडवाना समाज को जोड़ने का काम भी करते रहे। सन् 1980 में उन्होंने शिक्षक पद से त्यागपत्र दे दिया और भाजपा की टिकट से चुनाव लड़कर पहली बार तानाखार से विधायक बने। 1990 में उन्होंने भाजपा छोड़ निर्दलीय चुनाव लड़ा और दूसरी बार तानाखार से ही विधायक बने। उन्होंने गोंडवाना समाज के लिये बैंक बनाया था। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में इस बैंक में घोटाले के दर्जनों मामले सामने आये। 2003 में वे चुनाव हार गये। उन्होंने महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भी पार्टी का विस्तार किया। उनकी पार्टी से एक विधायक महाराष्ट्र में भी रहे। उनकी मांग लगातार गोंडवाना राज्य का निर्माण करने की रही। दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में उनकी गहरी पकड़ रही। कई बार वे मंच पर अजीत जोगी के साथ आये, पिछले विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कोटमी, गौरेला में कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ भी मंच साझा किया लेकिन किसी भी दल से बाद में नहीं जुड़े। उनके समर्थकों का एक धड़ा राष्ट्रीय गोंडवाना पार्टी बनाकर अलग भी हो गया। इसके बाद उन्हें विधानसभा में दुबारा जाने का मौका नहीं मिला। पिछले एक वर्ष से उनके पुत्र तुलेश्वर मरकाम को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश के वरिष्ठ आदिवासी नेता हीरा सिंह मरकाम के निधन पर गहरा दुःख प्रकट किया एवं उनके शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
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