सुकमा -छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की स्वास्थ्य विभाग भर्ती प्रक्रिया लगातार सवालों के घेरे में है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि योग्य और पढ़े-लिखे उम्मीदवारों को मामूली बहाने से अपात्र कर दिया गया, जबकि जिन उम्मीदवारों ने अधूरे दस्तावेज़ जमा किए थे, उन्हें पात्र घोषित कर दिया गया।
पात्र फिर भी अपात्र, अपात्र फिर भी पात्र
कई अभ्यर्थियों ने रोजगार पंजीयन, जाति, निवास व अन्य प्रमाणपत्र पूरे जमा किए थे। फिर भी उन्हें सिर्फ इस कारण अपात्र कर दिया गया कि उनके दस्तावेज़ वाले लिफाफे पर पद का नाम नहीं लिखा था।
पात्र फिर भी अपात्र, अपात्र फिर भी पात्र
वहीं दूसरी ओर, जिन उम्मीदवारों ने अधूरे दस्तावेज़ दिए या कोई प्रमाणपत्र ही संलग्न नहीं किया, उन्हें “पात्र” की श्रेणी में डाल दिया गया।
यह दोहरा रवैया भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गहरे सवाल खड़े करता है।
गोलमोल सफाई, असली सवाल गायब
8 सितंबर को नवभारत अखबार में CMHO कार्यालय की ओर से स्पष्टीकरण प्रकाशित किया गया।
लेकिन अभ्यर्थियों का कहना है कि यह सफाई मुख्य सवाल से पूरी तरह बचती है।
उनका आरोप है कि प्रेस नोट जारी कर केवल “सिस्टम की ढाल” बनाई गई, लेकिन युवाओं की आवाज़ को दबा दिया गया
अभ्यर्थियों का आरोप: “भविष्य छीन लिया”
एक अभ्यर्थी ने सवाल उठाया:
“जब दस्तावेज़ न देने वालों को पात्र बनाया गया, तो सिर्फ लिफाफे में नाम न लिखने से हमें अपात्र क्यों? यह हमारी मेहनत और भविष्य दोनों के साथ खिलवाड़ है।”
जनता चाहती है पारदर्शिता
बेरोजगार युवाओं का कहना है कि अब गोलमोल सफाई से काम नहीं चलेगा। वे मांग कर रहे हैं कि —
सभी अपात्र अभ्यर्थियों की फाइलों की दोबारा जांच हो।
नियम सबके लिए समान हों।
योग्य उम्मीदवारों को न्याय मिले।
सवाल अब सीधा है — क्या सिस्टम ईमानदारी से जवाब देगा, या फिर पारदर्शिता की जगह गोलमोल सफाई ही जारी रहेगी?