फार्मासिस्टों की वेतन विसंगति पर हाईकोर्ट सख्तः 3 आईएएस समेत 5 अफसरों को अवमानना का दोषी माना

राजेन्द्र देवांगन
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बिलासपुर -छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 3 आईएएस सहित 5 अफसरों को अवमानना का दोषी करार दिया है। हाईकोर्ट ने 3 आईएएस अफसरों के खिलाफ 50-50 हजार का जमानती वारंट भी जारी किया है। इसके साथ ही अगली सुनवाई में सभी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है

मामला यह है कि वर्ष 2013 में शासन के जेल विभाग में कार्यरत 17 फार्मासिस्ट ग्रेड-2 कर्मियों को शासन के अन्य विभागों में कार्यरत फार्मासिस्ट ग्रेड-2 कर्मी से कम वेतन दिए जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गयी।

जिसमें सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की बात को सही मानते हुए 10-वर्षों बाद वर्ष-2023 उनके पक्ष में कुल 13-पन्नों का विस्तृत फैसला सुनाया। उक्त फैसले को चुनौती देते हुए शासन ने वर्ष-2024 में उच्च न्यायालय की युगल-पीठ में अपील पेश किया। युगल-पीठ ने दिनांक 07.10.2024 को शासन की अपील ख़ारिज कर दी।

हाईकोर्ट के आदेश का नहीं हुआ पालन उक्त वर्ष-2023 के उक्त संदर्भित फैसले पर जब शासन की और से कोई सकारात्मक कार्यपालन नहीं हुआ। तब व्यथित होकर दोबारा याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता प्रवीण सोनी एवं उनके सहयोगी अधिवक्ता विजयिता साहू, शीतल सोनी व अन्य के माध्यम से वर्ष-2025 में उच्च न्यायालय, यथास्थिति बनाये रखने के अंतरिम-आवेदन सहित न्यायालय की अवमानना की याचिका दाखिल की। सुनवाई करते हुए हालांकि न्यायालय ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का हवाला देते हुए अंतरिम-आवेदन को ख़ारिज कर दिया। तदुपरांत शासन ने मई-2025 में सर्वोच्च न्यायालय में उच्च न्यायालय की युगल-पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की। सर्वोच्च न्यायालय ने भी विचारण-अयोग्य मानते हुए ख़ारिज किया।

आईएएस अफसरों को पेश होने के दिए निर्देश इसके बाद भी हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका पेश की गई। मामले की जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने यह माना कि, उत्तरवादियों की ओर से दोनों न्यायालयों के फैसलों की घोर-अवमानना कारित हुई है तथा अवमानना के 5 दोषी शासन के गृह-विभाग में पदासीन 3-आईएएस अफसरों के विरुद्ध रु. 50-50 हजार का जमानती वारंट जारी कर उन सभी को दिनांक 04.09.2025 को सुनवाई के दौरान, सभी को कोर्ट में व्यक्तिगत उपस्थिति हेतु आदेश पारित किया है।

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