रायपुर। रायपुर महिला थाना एक बार फिर कटघरे में है। कुछ समय पूर्व सवितर्क न्यूज में महिला थाने में लेन-देन, पीड़ितों पर दबाव और न्याय की अनदेखी को लेकर समाचार प्रकाशित किया गया था। उस समय उम्मीद थी कि शासन-प्रशासन इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगा। लेकिन आज तक न तो किसी पर जांच बैठी, न ही पीड़िताओं को राहत मिली। हालत यह है कि शिकायतें अब भी जस की तस पड़ी हैं और सिस्टम की चुप्पी टूटने का नाम नहीं ले रही है।
थाना वही, हालात वही
थाना प्रभारी को बदला गया था, लेकिन अंदरूनी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ। सूत्रों के मुताबिक अब भी थाने में ‘मामले निपटाने’ के नाम पर लेन-देन का दौर जारी है। पीड़ित पक्ष पर काउंसलिंग की आड़ में दबाव डालने की शिकायतें भी सामने आ रही हैं।
पीड़िताओं की नाराजगी — “हमें फिर से डराया जा रहा है”
nहमारे संवाददाता ने एक बार फिर पीड़ित महिलाओं से संपर्क किया। एक महिला ने नाम न छापने की शर्त पर कहा —
“तीन महीने से महिला थाने के चक्कर काट रही हूं, लेकिन न कोई गिरफ्तारी हुई और न कोई सुनवाई। उल्टा अब अधिकारी समझौते का दबाव बना रहे हैं और कह रहे हैं कि मामला न बढ़ाओ।”
दूसरी पीड़िता ने बताया —
“पुलिस कहती है, अगर ज्यादा आवाज़ उठाओगी तो तुम्हारे खिलाफ भी केस कर देंगे। इस डर से हम चुप बैठे हैं। क्या यही इंसाफ है?”
अग्रिम जमानत खारिज — फिर भी कार्रवाई नहीं
गौरतलब है कि एक बड़े दहेज उत्पीड़न मामले में आरोपियों की अग्रिम जमानत खारिज हो चुकी है। इसके बावजूद महिला थाना ने अब तक गिरफ्तारी नहीं की है। आरोप है कि आरोपी पक्ष से “समझौता राशि” लेकर केस को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है।
प्रशासन, सरकार और आयोग — सबकी चुप्पी
छत्तीसगढ़ सरकार, रायपुर पुलिस प्रशासन और राज्य महिला आयोग — तीनों की चुप्पी अब और भी खटकने लगी है। सवाल यह है कि जब स्पष्ट रूप से न्यायिक आदेश और शिकायतें मौजूद हैं, तब कार्रवाई से कौन रोक रहा है? क्या यह स्पष्ट प्रशासनिक लापरवाही नहीं है?
अब पीड़िताओं का भरोसा टूट रहा है
महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए इस थाने में जब खुद महिलाएं असुरक्षित महसूस करें, तो सिस्टम की सच्चाई सामने आ जाती है।
हमारी पड़ताल जारी रहेगी
इस खबर के ज़रिए हम एक बार फिर छत्तीसगढ़ सरकार, रायपुर पुलिस और राज्य महिला आयोग से अपील करते हैं —
1. महिला थाना रायपुर में लंबित मामलों की तुरंत उच्चस्तरीय जांच कराएं।
2. जिन मामलों में अग्रिम जमानत खारिज है, वहाँ गिरफ्तारी सुनिश्चित करें।
3. महिला अधिकारों के संरक्षण के लिए स्पष्ट नीति और निगरानी तंत्र बनाएँ।
अगर अब भी कार्रवाई नहीं होती, तो यह समझा जाएगा कि “महिला न्याय भी छत्तीसगढ़ में बिकाऊ है।” हमारी टीम इस पूरे मामले पर बारीकी से नजर रखेगी और अगला अपडेट जल्द देगी।