कोंडागांव, 27 अप्रैल 2025: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में सड़क हादसों और शिकायतों को देखते हुए जिला प्रशासन ने नेशनल हाईवे-30 पर वाहन जांच अभियान चलाया। कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना के निर्देश पर जिला परिवहन अधिकारी अतुल असैया के नेतृत्व में शुक्रवार, 25 अप्रैल 2025 को औचक जांच की गई। इस अभियान में बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के वाहनों, ओवरलोड वाहनों, और अन्य नियम उल्लंघनों पर सख्त कार्रवाई की गई।
अभियान का विवरण
जांच के दौरान निम्नलिखित कार्रवाइयां की गईं:
- बिना फिटनेस प्रमाण पत्र:
- 8 वाहन बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के पाए गए।
- इन पर कुल 28,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया।
- ओवरलोड वाहन:
- एक ओवरलोड वाहन पर 36,000 रुपये का दंड लगाया गया।
- बिना ड्राइविंग लाइसेंस और फिटनेस:
- कुछ चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस और फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं थे।
- गंभीर उल्लंघन के कारण 2 वाहनों को मौके पर जब्त किया गया, और इनके खिलाफ आगे की कार्रवाई शुरू की गई।
- छोटे उल्लंघन:
- मामूली नियम उल्लंघन (जैसे बिना हेलमेट, सीट बेल्ट, या प्रदूषण प्रमाण पत्र) के लिए 8 वाहनों से 4,900 रुपये समन शुल्क वसूला गया।
जिला प्रशासन का रुख
जिला परिवहन अधिकारी अतुल असैया ने कहा कि सड़क सुरक्षा नियमों की अनदेखी को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में भी इस तरह के औचक जांच अभियान नियमित रूप से चलाए जाएंगे ताकि सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
जनता से अपील
जिला प्रशासन ने वाहन चालकों और आम जनता से अपील की है कि:
- वाहन चलाते समय फिटनेस प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, प्रदूषण प्रमाण पत्र, और अन्य आवश्यक दस्तावेज साथ रखें।
- ओवरलोडिंग, ओवरस्पीडिंग, और अन्य यातायात नियमों का उल्लंघन न करें।
- सड़क सुरक्षा नियमों का पालन कर स्वयं और दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
पृष्ठभूमि
- कोंडागांव का महत्व: कोंडागांव, बस्तर संभाग का एक महत्वपूर्ण जिला है, जो नेशनल हाईवे-30 से जुड़ा है। यह हाईवे भारी वाहनों और व्यावसायिक यातायात के लिए प्रमुख मार्ग है।
- सड़क सुरक्षा चिंताएं: हाल के महीनों में छत्तीसगढ़ में सड़क हादसों की संख्या बढ़ी है, जिसके लिए अनफिट वाहन, ओवरलोडिंग, और नियमों की अनदेखी को जिम्मेदार माना जा रहा है। उदाहरण के लिए, सिमडेगा (झारखंड) में 2022 में बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के वाहनों के कारण कई हादसे हुए थे।
- कानूनी प्रावधान: मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत फिटनेस प्रमाण पत्र अनिवार्य है। व्यावसायिक वाहनों के लिए हर साल और निजी वाहनों के लिए 15 साल बाद हर 5 साल में फिटनेस जांच जरूरी है। बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के वाहन चलाना गैरकानूनी है और इसके लिए जुर्माना या वाहन जब्ती की कार्रवाई हो सकती है।