रायपुर |
छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत जमीन अधिग्रहण में भारी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने मुआवजा वितरण में 48 करोड़ रुपये की गड़बड़ी सामने लाते हुए प्रदेशभर में एक साथ छापेमारी कर दस्तावेजों का बड़ा जखीरा बरामद किया है।
20 से ज्यादा ठिकानों पर एक साथ छापे
EOW ने रायपुर, दुर्ग, धमतरी, महासमुंद, बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, सरगुजा और बस्तर सहित प्रदेश के कई जिलों में एक साथ छापेमारी की। कुल 20 से अधिक स्थानों पर की गई इस कार्रवाई में कई बिचौलिए, संदिग्ध अधिकारी और संबंधित विभागों के कर्मचारियों के खिलाफ अहम सुराग मिले हैं।
कंप्यूटर, मोबाइल और नकदी जब्त
जांच एजेंसी ने छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में दस्तावेज, जमीनों की रजिस्ट्री, संदिग्ध लेन-देन के कागजात, मोबाइल फोन, लैपटॉप, पेन ड्राइव, नकदी और बैंक खातों से जुड़ी जानकारियां जब्त की हैं।
EOW की शुरुआती जांच में बड़ा खुलासा
EOW अधिकारियों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में स्पष्ट हुआ है कि सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी कर कुछ लोगों ने वास्तविक से अधिक मुआवजा लिया। कुछ मामलों में तो जिस जमीन पर सड़क निर्माण की योजना ही नहीं थी, वहां भी फर्जी मुआवजा जारी कर दिया गया।
सरकारी कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध
मुआवजे की प्रक्रिया से जुड़े कुछ अफसरों और कर्मचारियों की भूमिका जांच के घेरे में है। EOW का कहना है कि मामले में और भी लोगों की भूमिका सामने आ सकती है, जिन्हें जल्द ही पूछताछ के लिए तलब किया जाएगा।
राज्य सरकार ने दिए कड़े निर्देश
घोटाले की खबर सामने आने के बाद राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए संबंधित विभागों से जवाब मांगा है। जांच के आदेश पहले ही दिए जा चुके थे, लेकिन अब EOW की कार्रवाई से मामले ने तूल पकड़ लिया है।
आखिर कब बंद होगा मुआवजा माफियाओं का खेल?
भारतमाला जैसी राष्ट्रीय परियोजनाओं में भी भ्रष्टाचार की घुसपैठ बताती है कि मुआवजा माफिया किस कदर सक्रिय हैं। एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें सड़क विकास के नाम पर भारी बजट जारी करती हैं, दूसरी ओर कुछ अफसर और दलाल उस पैसे को लूटने में जुटे रहते हैं।