छत्तीसगढ़ सरकार ने भूमि नामांतरण की प्रक्रिया को स्वचालित किया

राजेंद्र देवांगन
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रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने भूमि खरीदी के बाद नामांतरण (म्यूटेशन) की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी व त्वरित बनाने के लिए यह जिम्मेदारी तहसीलदारों से हटाकर रजिस्ट्रार एवं सब-रजिस्ट्रार को सौंप दी है। गजट नोटिफिकेशन के तहत छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 24(1) व धारा 110 में संशोधन कर ये बदलाव लागू किए गए हैं।

स्वचालित नामांतरण से होगा लाभ

  • अब पंजीकृत रजिस्ट्री होते ही भूमि का नाम संबंधित खरीदार के खाते में स्वतः दर्ज हो जाएगा।
  • इससे तहसीलदार कार्यालय में दस्तावेज जमा करने और लंबी प्रक्रियाओं से जुड़ा समय बचेगा।
  • भू-माफिया, फर्जी दस्तावेज़ और विलंब की भरपूर गुंजाइश कम होगी।

किसानों को राहत

  • नामांतरण न होने पर किसान मुख्यमंत्री समर्थन मूल्य पर धान या अन्य फसलों की बिक्री नहीं कर पाते थे।
  • अब ऑटो-नामांतरण से वे समय रहते अपने उत्पाद का लाभ उठा सकेंगे।

पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ेगी

  • रजिस्ट्रार कार्यालय में केंद्रीय रूप से होने से जमीनी जांच-परख में सुधार होगा।
  • सब-रजिस्ट्रार को ट्रैक करने में आसान होने से किसी भी गड़बड़ी का शीघ्र पता लग सकता है।

सरकार का दावा है कि यह निर्णय भूमि लेन-देन को और अधिक सरल बनाएगा, ग्रामिण और शहरी दोनों स्तरों पर लोगों को खरीद-फरोख्त में सुविधा मिलेगी, तथा भू-राजस्व से जुड़े घोटालों पर प्रभावी नियंत्रण संभव होगा।

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राजेंद्र देवांगन (प्रधान संपादक)