बिलासपुर, 18 अप्रैल 2025 – बिलासपुर जिले के मोपका बाजार चौक में शुक्रवार को अतिक्रमण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई। नगर निगम और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने सरकारी भूमि पर बनी करीब 50 से अधिक अस्थायी और स्थायी दुकानों को जेसीबी मशीनों की मदद से ढहा दिया। यह अभियान प्रशासन द्वारा लंबे समय से दी जा रही चेतावनियों और नोटिसों के बावजूद अतिक्रमण न हटाने पर शुरू किया गया।
क्यों हटाया जा रहा है अतिक्रमण?
अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई शासकीय भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने और शहर के व्यवस्थित विकास के तहत की गई है। मोपका क्षेत्र में यह जमीन लंबे समय से दुकानदारों द्वारा कब्जे में थी, जिससे यातायात और सार्वजनिक सुविधाओं में बाधा उत्पन्न हो रही थी। नगर निगम का कहना है कि बार-बार चेतावनी और नोटिस जारी किए जाने के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाया गया, जिसके चलते प्रशासन को सख्ती बरतनी पड़ी।
अतिक्रमण से क्या दिक्कतें हो रही थीं?
- सड़क और ट्रैफिक की बाधा: दुकानें सड़कों के किनारे और सार्वजनिक स्थानों पर बनी थीं, जिससे ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती थी।
- सुरक्षा जोखिम: संकरी गलियों और भीड़भाड़ के कारण किसी आपात स्थिति में फायर ब्रिगेड या एम्बुलेंस तक पहुंचने में कठिनाई होती थी।
- शहर की सुंदरता और नियोजन: अतिक्रमण के कारण क्षेत्र का सौंदर्य और शहर का मास्टर प्लान प्रभावित हो रहा था।
कहाँ जाएंगे अतिक्रमणकारी?
इस कार्रवाई के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि वर्षों से वहां कारोबार चला रहे दुकानदार अब क्या करेंगे?
कई दुकानदारों ने मीडिया से बातचीत में आजीविका पर संकट की बात कही। कुछ का कहना था कि उन्हें कोई वैकल्पिक स्थान नहीं दिया गया, जिससे उनका रोजगार ठप्प हो गया है।
क्या प्रशासन ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था की है?
प्रशासन की ओर से फिलहाल यह बताया गया है कि जिन दुकानदारों के पास मान्य दस्तावेज और नगर निगम का पंजीयन है, उन्हें पुनर्वास की योजना के तहत वैकल्पिक स्थान दिया जा सकता है। हालांकि, मौके पर मौजूद कई पीड़ितों का दावा है कि उन्हें किसी प्रकार की पूर्व जानकारी या पुनर्वास विकल्प की पेशकश नहीं की गई।
कार्रवाई के दौरान हालात
- पुलिस बल तैनात: किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल और नगर निगम के अधिकारी मौजूद रहे।
- विरोध के हल्के प्रयास: कुछ स्थानीय व्यापारियों ने कार्रवाई का विरोध किया, लेकिन भारी पुलिस उपस्थिति के चलते स्थिति नियंत्रण में रही।
आगे की रणनीति
नगर निगम ने यह स्पष्ट किया है कि शहर में अन्य अतिक्रमण स्थलों की भी सूची तैयार की जा रही है और आने वाले दिनों में उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने जनता से अपील की है कि वे स्वेच्छा से अतिक्रमण हटाएं और सरकारी जमीनों से दूर रहें।
अंत मे एक सवाल:
जहाँ एक ओर यह कार्रवाई शहर की व्यवस्था और विकास के लिए जरूरी बताई जा रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय दुकानदारों की आजीविका पर संकट मंडराता नजर आ रहा है। ऐसे में सवाल यही है—क्या विकास की कीमत हमेशा गरीब और छोटे व्यापारियों को ही चुकानी पड़ेगी?