सुकमा: शिकारी के फंदे में फंसा बाघ, घायल अवस्था में रायपुर जंगल सफारी में भर्ती

राजेन्द्र देवांगन
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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में एक बाघ शिकारी के फंदे में फंसकर गंभीर रूप से घायल हो गया। पंजों में कीड़े पड़ गए हैं। ITR और वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर रायपुर जंगल सफारी में इलाज शुरू किया।


सुकमा/बीजापुर। छत्तीसगढ़ के इंद्रावती टाइगर रिजर्व (ITR) में एक बाघ के घायल होने की घटना सामने आई है। बाघ के दोनों पंजों में गहरे घाव हैं और उनमें कीड़े भी लग गए हैं। वन विभाग की आशंका है कि यह शिकारी द्वारा लगाए गए तार के फंदे में फंसकर घायल हुआ है।


जंगल से किया गया रेस्क्यू, रायपुर जंगल सफारी में इलाज शुरू

ITR टीम और वाइल्डलाइफ विशेषज्ञों ने बाघ को 17 अप्रैल को ट्रैक कर बेहोश किया और फिर उसे इलाज के लिए रायपुर के जंगल सफारी भेजा गया। ITR के डिप्टी डायरेक्टर संदीप बलगा के अनुसार, बाघ की उम्र 5 से 6 वर्ष के बीच है।

उन्होंने कहा, “हम शिकार की कोशिश, मानव-वन्यजीव संघर्ष और अन्य संभावनाओं पर जांच कर रहे हैं। अभी कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला गया है।”


ITR में 6 से 8 बाघों की मौजूदगी, बॉर्डर से आते हैं शिकारी

इंद्रावती टाइगर रिजर्व में लगभग 6 से 8 बाघों की सक्रियता दर्ज की गई है। यह क्षेत्र महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की सीमा से सटा हुआ है, जहां से शिकारी अक्सर स्थानीय सहयोग से इस क्षेत्र में घुसते हैं और फंदे लगाकर बाघों का शिकार करते हैं।

वे खाल, नाखून, दांत जैसे अंगों को अवैध रूप से बाजार में बेचते हैं। पहले भी इस क्षेत्र में पशु क्रूरता और शिकार के कई मामले सामने आ चुके हैं।


सुकमा में भालू के साथ हुई बर्बरता

इससे पहले बस्तर के सुकमा जिले में एक भालू को निर्दयता से मारने का वीडियो वायरल हुआ था। ग्रामीणों ने भालू के पैर तार से बांधे, सिर पर वार किए और उसे दर्द में तड़पता छोड़ दिया। इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने PCCF से जवाब मांगा है।


क्या कहता है वन्यजीव संरक्षण कानून?

भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत बाघ और भालू जैसे जानवरों का शिकार अपराध है। दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है। इसके बावजूद बस्तर और सरहदी इलाकों में लगातार इस तरह की घटनाएं हो रही हैं।


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