भारतीय सिंधु सभा की राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमती विनीता भावनानी जी बनी

राजेन्द्र देवांगन
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*भारतीय सिंधु सभा की राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमती विनीता भावनानी जी बनी*राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लधाराम नागवानी जी ने भारतीय सिंधु सभा की राष्ट्रीय महिला विंग की अध्यक्ष श्रीमती माया कोडवानी जी की सहमति से
भारतीय सिंधु सभा छत्तीसगढ़ की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती विनीता भवनानी जी को
भारतीय सिंधु सभा की राष्ट्रीय महामंत्री मनोनीत किया
विनीता जी ने सिंधी भाषा बोली संस्कृति एवं सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया है
किसी भी इंसान को इतने बड़े पद में पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत लगन वह ईमानदारी से कार्य करना पड़ता है बहुत कम लोग होते हैं जो ऐसा करके ऊंचाइयों पर पहुंचते हैं उनमें से एक है विनीता जी जो अपनी कड़ी मेहनत लगन ईमानदारी व समाज हित के लिए जज्बा कुछ कर गुजरने की तमन्ना वह लगन उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी है ईमानदारी से निभाई है
चाहे वह सामाजिक क्षेत्र हो चाहे वह धार्मिक क्षेत्र हो चाहे वह घर परिवार के बात हो चाहे वह शहर की बात हो उन्होंने हर समय हर कार्य को पूरी मेहनत लगन व ईमानदारी से किया है बगैर किसी लालच या लोभ के हमेशा समाज हित के बारे में सोचा है और समाज के उत्थान के लिए वह अपनी बोली भाषा संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कार्य किया है
आइए उनके जीवन में के बारे मे कुछ प्रकाश डालता हूंविनीता का जन्म 17 अप्रैल 1969 को मध्य प्रदेश के छोटे से शहर सतना में हुआ
माता कृष्णा देवी पंजवानी पिता हीरालाल पंजवानी के यहां
विनीता जी आपस मे छह भाई बहन हैं दो भाई चार बहने विनीता तीसरे नंबर की है
अपने माता-पिता की लाडली वह प्यारी बनी
बचपन में ही अपने बड़ों को आदर देना छोटो को प्यार करना और सब को सम्मान देना अपने माता-पिता से सीखा उसे वह संस्कार जो अपने माता-पिता से मिला था उसे अपने जीवन में उतारा
एक आदर्श बेटी
एक आदर्श बहन
एक आदर्श पत्नी
एक आदर्श बहू
एक आदर्श मां
एक आदर्श सांस
बनी
पढ़ाई में बहुत ही तेज होशियार थी
डी सी ए स्नानतक
बी एस सी संगीत विद
डिग्री प्राप्त की
छत्तीसगढ़ के छोटे से शहर कोरबा में उनका विवाह त्रिलोकीनाथ भावनानी के सुपुत्र
उमेश भावनानी के साथ
24 जून 1988 को विधि विधान के साथ संपन्न हुआ अब विनीता पंजवानी से विनीता भावनानी बनी
नया शहर नया घर नया परिवार और नई जिम्मेदारी मिली
विनीता ने बखूबी इसे निभाया को आज तक निभा रही हैं
सभी रिश्तो को एक अनमोल मोती की माला की तरह पिरो के रखा है
यहीं से शुरू हुई विनीता की एक और नई पारी
और वह थी समाज सेवा सन 1989-90 से आरंभ की
और इस कार्य में उनके प्रेरणा स्त्रोत वह मार्गदर्शन बने
उनके ससुर त्रिलोकीनाथ भावनानी जी
विनीता भावनानी ने पहली महिला इकाई गठित की कोरबा में
प्रशिक्षण केंद्र लगवाएं एवं अन्य सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए
सन 2000 में बिलासपुर आकर इस सफर को जारी रखा
फिर से एक नया शहर नया घर और एक नई जिम्मेदारी
एक थी जन्मभूमि सतना
दूसरी थी कर्मभूमि कोरबा
और तीसरी बनी तपोभूमि बिलासपुर
यहां पर तप कर मेहनत करके समाज को एक छत के नीचे लाकर महिलाओं को संगठित किया अपनी बोली भाषा संस्कृति को बढ़ाने के लिए एक मिशन हाथ में लिया एक मशाल जगाई और वह सफ़र जो शुरू हुआ था 1990 से कोरबा से निरंतर
बिलासपुर आने के बाद भी आज तक जारी है
बिलासपुर शहर आने के बाद
पूज्य सिंधी सेंट्रल महिला विंग की अध्यक्ष बनी
बाद में संरक्षक बनी
भारतीय सिंधु सभा बिलासपुर
इकाई के अध्यक्ष बनी
बाद में संरक्षक बनी
लगातार सेवा कार्य जारी रहे पिछले 4 सालों से भारतीय सिंधु सभा छत्तीसगढ़ के प्रांतीय अध्यक्ष हैं
छत्तीसगढ़ के छोटे-छोटे शहरों का दौरा करके महिला इकाई गठित की छोटे-छोटे रचनात्मक सांस्क्रतिक कार्यक्रम आयोजित किए हैं
पूरे प्रदेश में भारतीय सिंधु सभा कि एक मजबूत शाखा बनाई
उनके नेतृत्व में पहली बार कई ऐसे कारण हुए जिससे बिलासपुर की पहचान बनी और बिलासपुर का नाम पूरे देश में चमक का
पहली बार 2017 को दो दिवसीय राष्ट्रीय महिला सम्मेलन (उम्मेन्द)बिलासपुर में आयोजित किया गया इस सम्मेलन में गुजरात की उस समय की मंत्री श्रीमती निर्मला वाधवानी भी बिलासपुर आई शादानी दरबार के संत जी भी आए हैं पाकिस्तान सिंध से एक जत्था भी आया
दो दिवसीय इस सम्मेलन में पूरे देश भर से महिलाएं बिलासपुर पहुंची दिनभर राष्ट्रीय मुद्दों पर बहस होती चर्चा होती
और रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता
इस सांस्कृतिक कार्यक्रम को देखकर बाहर से आई महिलाएं गदगद हो गई उन्हें ऐसा लगा जैसे हम सिंध में पहुंच गए हैं
इस सफल आयोजन मैं बिलासपुर को एक नई पहचान दीरालष्ट्रीय सिंधी लाडा (लोकगीत) प्रतियोगिता आयोजित की गई गुजरात के अहमदाबाद शहर में
विनीता जी के नेतृत्व में
बिलासपुर की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया और ट्रॉफी जीती
बड़े शहरों के लोग सब हैरान हो गए एक छोटे से शहर बिलासपुर के लोगों ने ऐसा धमाल मचाया कि सब देखते रह गए
प्रतिभा किसी शहर की मोहताज नहीं होती ..ततपश्चात राष्ट्रीय सिंधी विकास परिषद द्वारा 2018 में आयोजित छेज प्रतियोगिता(सिंधी लोकनृत्य) में बिलासपुर की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया
प्रतिभा आज हर एक गांव में है हर शहर में है बस जरूरत है उसे उभारने की उसे निखारने की
और यहां की प्रतिभाओं को खोजा समझा ओबारा और निखारा और सबके सामने लाया
जिसका नतीजा था बिलासपुर के समाज के बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता में शामिल हो रहे थे और प्रथम विजेता बन कर जीत कर वापस आ रहे थे
सिंधु दर्शन यात्रा जो प्रतिवर्ष लेह लद्दाख में 21 से 24 जून आयोजित की जाती है इस यात्रा में वहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं उसके लिए भी विनीता जी को चुना गया वह जिम्मेदारी उन को दी गई क्यों बच्चों को तैयार करें और सांस्कृतिक कार्यक्रम यहां पर पेश करें उन्होंने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया 5 सालों से लगातार छत्तीसगढ़ से बिलासपुर, कोरबा, रायपुर, राजनांदगांव से बच्चे लेह लद्दाख में सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करके छत्तीसगढ़ का गौरव और शान से बढ़ा रहे हैं।। इसके अलावा सुलझी विचार धारा होने के कारण पारिवारिक वाद विवादों को मन मुटावों को आपसी समझाईश दे कर जल्द सुलझा कर बहुत बड़ी समाज सेवा के कार्य मे सेवारत है।।
विनीता भावनानी जी सिंधी समाज के साथ-साथ अन्य समाज के संस्थाओं से भी जुड़ी हुई है
जिनमें मुख्य हैं
ब्रह्माकुमारीज़ ,अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद, संस्कार भारती, वनवासी कल्याण समिति से जुड़ी है वर्तमान में भी सेवाकार्यो से नित प्रतिदिन सेवारत है ।इसके अलावा पूर्व डायरेक्टर छत्तीसगढ़ सिंधी साहित्य अकादमी
पूर्व अध्यक्ष। इनवरव्हील कल्ब ऑफ कोरबा
रोटरी मुक बधिर विद्यालय कोरबा
निदेशक नाट्य नृत्य लोक संगीत
विनीता जी को कई सम्मानों नों से भी विभूषित किया गया है,भारत के कई शहरों में अलग अलग मंचो से विनीता जी का सम्मान हो चुका है ।।प्रदेश की कई राजनीतिक पार्टियां भी चाहती थी कि विनीता जी हमारी पार्टी में शामिल होय कुछ पार्टियों ने तो उन्हें बड़े पद का ऑफर भी दिया यहां तक कि विधानसभा टिकट का भी आफर दिया
विनीता जी ने सब को मना कर दिया
और कहा कि जो सेवा में कर रही हूं वह सेवा बगैर राजनीतिक में आए भी की जा सकती है और मैं उसे आगे भी करती रहूंगी
आप लोगों का धन्यवाद कि आप लोगों ने मुझे इस लायक समझा।बातें और बहुत भी हैं लेकिन क्या लिखूं क्या कहूं जितना लिखता हूं उतना ही कम पड़ जाता है बस इतना ही कहूंगा करोड़ों में एक ऐसे होते हैं जो सितारा बनकर चमकते हैं
और कभी भी घमंड नहीं करते हैं
बल्कि पूरे जहां में चांदनी और रोशनी ठंडक फैलाते हैं
ऐसे ही एक सितारा है हमारी बिलासपुर की विनीता भावनानी जीभवदीय
विजय दुसेजा
बिलासपुर से

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