MP High Court News| शिक्षक भर्ती चयन परीक्षा पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, ओबीसी अभ्यर्थियों को मिलेगी राहत.

Babita Sharma
3 Min Read

MP-उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती 2018 में ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए हाइकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। मंगलवार को हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश की डबल बेंच ने 13 फीसदी ओबीसी पदों को आगे बढ़ाने (कैरी फॉरवर्ड) पर रोक लगा दी है। इससे उन चयनित OBC अभ्यर्थियों को नियुक्ति का मौका मिल सकता है, जो पिछले 5 साल से इंतजार कर रहे हैं।

शिक्षक भर्ती चयन परीक्षा पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला,

याचिकाकर्ताओं की दलील और अदालत का आदेश
इस मामले में 21 दिन पहले विकास नंदानिया, डॉ. रिंकी शिवहरे, कृतिका साहू और कविता पाटीदार समेत कुछ अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की थी। उनके वकील पुष्पेंद्र शाह ने दलील दी कि विभाग 911 ओबीसी होल्ड पदों को खत्म करना चाहता है, जबकि आयुक्त और अपर संचालक का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है।

सरकार की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा गया, जिस पर अदालत ने 4 सप्ताह का समय दिया है। साथ ही, मामले को 6 सप्ताह बाद फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

अगले आदेश तक पदों की जानकारी देना अनिवार्य

हाइकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगली सुनवाई तक 2018 की भर्ती के 13% ओबीसी होल्ड पदों की पूरी जानकारी अदालत को देनी होगी। इसके साथ ही, अदालत ने स्पष्ट किया कि अगली भर्ती में इन पदों को कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकेगा। इस फैसले से हजारों ओबीसी अभ्यर्थियों को न्याय की उम्मीद मिली है।

ओबीसी अभ्यर्थियों को मिलेगी राहत.

एमपी हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता एस.सी. वर्मा पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि वर्मा को अपनी जेब से कोर्ट विधिक सेवा समिति के कोष में जमा करनी होगी। यह कड़ा कदम मुख्य अभियंता द्वारा कोर्ट को गुमराह करने के रवैये के खिलाफ उठाया गया है।

कोर्ट ने पाया कि वर्मा ने धोखाधड़ी का व्यवहार किया। उनके खिलाफ विभागीय जांच के भी निर्देश दिए हैं। प्रमुख सचिव, PWD को तीन महीने के भीतर जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा गया है।

OBC अभ्यर्थियों को नियुक्ति का मौका

अदालत ने साफ किया है कि अगर उसके आदेशों का पालन नहीं हुआ, तो अगली सुनवाई में मुख्य अभियंता को फिर कोर्ट में पेश होना होगा। इससे पहले, एक सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था, ‘ऐसा लगता है कि लोक निर्माण विभाग, बालाघाट के कार्यपालन अभियंता भरत सिंह अड़मे न्यायालय को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं। न्यायालय की आंखों पर पट्टी नहीं बांधी जा सकती।’

Share This Article
ब्यूरो चीफ - मध्यप्रदेश