पत्नी को जलाकर’ 12 साल जेल में रहा पति, फिर अचानक सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कर दिया बरी? बड़ा रोचक है केस

राजेन्द्र देवांगन
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नई दिल्ली– सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के रहने वाले एक शख्स को पत्नी की हत्या के आरोप में बरी कर दिया है। शख्स पर पत्नी को जलाकर मारने के आरोप थे। आरोपी मामले में 12 साल से जेल में बंद था। न्यायालय ने महिला के बयानों पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे साबित हो सके कि हत्या उसी ने की है। बता दें कि निचली अदालत ने मामले में उसे दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

मौत की सजा पाए शख्स को 12 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया बरी

कोर्ट ने कहा कि अगर महिला के बयानों पर संदेह है या बयानों में कोई विरोधाभास दिखाई दे तो दूसरे सबूतों की तरफ भी गौर करना चाहिए। महिला के बयान सही हैं या नहीं, यह तथ्यों पर निर्भर करेगा, ऐसे मामलों में कोर्ट को सतर्क रहना चाहिए। मौजूदा केस में ऐसा ही लग रहा है। मौजूदा मामले में महिला ने दो अलग-अलग बयान दिए थे। इनमें मजिस्ट्रेट के सामने दिया बयान भी शामिल है। इसके आधार पर ही आरोपी को दोषी ठहराया गया था।

आरोपी के खिलाफ नहीं मिले सबूत

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि अगर महिला के मरने से पहले दिए बयान में ज्यादा विरोधाभास है, तो दोषसिद्धि नहीं हो सकती। आरोपी के खिलाफ कोई और पुख्ता सबूत भी नहीं मिले हैं। इससे साबित होता है कि वह निर्दोष है। हालांकि इस बात में कोई संदेह नहीं कि मृतक के बयान अहम सबूत हैं। सिर्फ बयानों के आधार पर भी दोषसिद्धि की जा सकती है, आपराधिक मामलों में इनकी काफी अहमियत होती है। मामले की सुनवाई के दौरान तथ्यों और महिला के बयानों की गुणवत्ता का पता लगाए जाने के बाद ही दोषसिद्धि हो सकती है।

उम्रकैद की सजा काट रहे शख्स को सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी

बता दें कि महिला ने पहले बयान में अपने पति पर आरोप नहीं लगाए थे। उसने कहा था कि खाना बनाते समय आग लगी थी। बाद में महिला ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिए थे कि पति ने केरोसिन डालकर आग लगाई थी। गवाहों की जांच के बाद कोर्ट ने कहा कि जब महिला को अस्पताल लाया गया था तो उसके शरीर से केरोसिन की गंध नहीं आ रही थी।

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