निर्दलीय प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह चौधरी की ऐतिहासिक जीत: घरघोड़ा नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा, बड़ी पार्टियों को करारी शिकस्त

राजेन्द्र देवांगन
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घरघोड़ा में एक बार फिर निर्दलीय का परचम

घरघोड़ा नगर पंचायत में एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी नगर के प्रथम नागरिक की कुर्सी पर काबिज हुए हैं। निर्दलीय प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह चौधरी ने ऑटो छाप से चुनाव लड़ा और जनता ने उन्हें दूसरी बार नगर विकास की जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय मैदान में उतरे चौधरी को जनता ने प्रचंड मतों से विजयी बनाया।

चुनाव परिणाम:

  • सुरेंद्र सिंह चौधरी (निर्दलीय) – 2589 मत
  • सुनील सिंह ठाकुर (भाजपा) – 2080 मत
  • सोमदेव मिश्रा (कांग्रेस) – 1219 मत

वार्डवार परिणाम:

  • वार्ड 1: सुरेंद्र चौधरी (निर्दलीय) ने भाजपा को 23 वोट से हराया।
  • वार्ड 2: श्याम भोजवानी (भाजपा) ने कांग्रेस को 172 वोट से हराया।
  • वार्ड 3: भोलू उरांव (भाजपा) ने कांग्रेस को 91 वोट से हराया।
  • वार्ड 4: विमला जोल्हे (निर्दलीय) ने कांग्रेस को 97 वोट से हराया।
  • वार्ड 5: अनिल लकड़ा (भाजपा) ने कांग्रेस को 28 वोट से हराया।
  • वार्ड 6: यश सिन्हा (भाजपा) ने कांग्रेस को 12 वोट से हराया।
  • वार्ड 7: संजय डोंडे (कांग्रेस) ने भाजपा को 26 वोट से हराया।
  • वार्ड 8: राजकुमारी डनसेना (भाजपा) ने कांग्रेस को 17 वोट से हराया।
  • वार्ड 9: पीताम्बर निषाद (भाजपा) ने कांग्रेस को 35 वोट से हराया।
  • वार्ड 10: अमित त्रिपाठी (कांग्रेस) ने निर्दलीय को 65 वोट से हराया।
  • वार्ड 11: मिथलेश शर्मा (कांग्रेस) ने भाजपा को 75 वोट से हराया।
  • वार्ड 12: अनुराधा पैंकरा (भाजपा) ने कांग्रेस को 68 वोट से हराया।
  • वार्ड 13: कल्पना शर्मा (भाजपा) ने कांग्रेस को 68 वोट से हराया।
  • वार्ड 14: तिलेश्वर पैंकरा (कांग्रेस) ने भाजपा को 81 वोट से हराया।
  • वार्ड 15: राजेश (भाजपा) ने निर्दलीय को 55 वोट से हराया।

भाजपा को मिली मात, निर्दलीय की मजबूत पकड़

कुल 15 वार्डों में भाजपा ने 9, कांग्रेस ने 4 और निर्दलीय ने 2 सीटों पर जीत हासिल की, फिर भी भाजपा अध्यक्ष पद से चूक गई। सुरेंद्र चौधरी को जमीनी स्तर पर मिले समर्थन और भाजपा की गुटबाजी व प्रशासनिक मनमानी हार का मुख्य कारण बने। छोटे दुकानदारों की समस्याओं को चौधरी ने मुद्दा बनाया और बड़े वोट बैंक को अपने पक्ष में किया।

चुनौतियां और भविष्य की राह


सुरेंद्र चौधरी की जीत ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। अब सवाल यह है कि क्या चौधरी भाजपा में शामिल होंगे या निर्दलीय रहकर जनसेवा करेंगे? उनकी रणनीति और अनुभव भविष्य में अहम साबित होंगे।

कांग्रेस का गढ़ और हार के कारण

घरघोड़ा कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, लेकिन सुरेंद्र चौधरी के निर्दलीय मैदान में उतरने और विधायक की चुनावी अनुपस्थिति ने कांग्रेस की हार में बड़ी भूमिका निभाई।

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