छत्तीसगढ़ में महिलाओं और बच्चों को त्वरित न्याय: 28 विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट्स स्थापित

राजेन्द्र देवांगन
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महिलाओं और बच्चों से जुड़े मामलों के शीघ्र निपटारे पर विशेष जोर

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कमजोर वर्ग, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों से जुड़े मामलों के त्वरित समाधान और न्याय सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा के निर्देशानुसार राज्य में 28 विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट्स की स्थापना की गई है, जिससे अपराधों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है।

फास्ट ट्रैक कोर्ट्स के जरिए त्वरित न्याय

नवंबर 2019 से जनवरी 2025 तक इन विशेष कोर्ट्स में 8,500 नए मामले दर्ज किए गए, जबकि 10,006 मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा किया गया। इससे इन कोर्ट्स की निपटान दर 118 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो न्यायिक प्रक्रिया में एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।

पीड़ितों को मिला आर्थिक सहारा

मुख्य न्यायाधीश द्वारा स्वप्रेरणा से दायर जनहित याचिका (पीआईएल) क्रमांक-23/2024 के तहत पारित आदेशों के अनुसार, महिलाओं से जुड़े आपराधिक मामलों में पीड़ितों को आर्थिक मुआवजा प्रदान किया जा रहा है। अब तक 26.41 करोड़ रुपये की राशि पीड़ितों को वितरित की जा चुकी है, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से भी राहत मिली है।

अपराधों में आई कमी, समाज में बढ़ी सुरक्षा की भावना

इन फास्ट ट्रैक कोर्ट्स की प्रभावी कार्यप्रणाली के कारण महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में स्पष्ट कमी देखी गई है। इससे न केवल न्याय प्रणाली में जनता का विश्वास मजबूत हुआ है, बल्कि समाज में कानून-व्यवस्था भी सुदृढ़ हुई है। त्वरित न्याय प्रणाली ने छत्तीसगढ़ को इस क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित किया है।

विधिक साक्षरता से जागरूकता में इजाफा

पेंड्रारोड के औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र गौरेला में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ज्योति अग्रवाल ने कहा, “कानून का पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है और इसके लिए कानून की सही जानकारी अत्यंत आवश्यक है।” इस पहल के जरिए नागरिकों में कानून के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, जिससे समाज में न्याय और शांति का वातावरण बना हुआ है।

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