सड़क पर जन्मदिन पार्टी का मामला, CG हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, मुख्य सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने के निर्देश…

राजेन्द्र देवांगन
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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायपुर में आधी रात कार रोक बीच सड़क पर बर्थडे मनाने के मामले को स्वतः संज्ञान लिया है। आज इस मामले में सुनवाई के दौरान कड़ी नाराजगी जाहिर की है।  चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डीबी ने इस मामले में सुनवाई करते हुए नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि एक आम आदमी के मामले में, आप उसे कड़ी सजा देंगे और उसे जेल भेज पाएंगे और अबतक क्या कार्रवाई की गई है। अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने जवाब देते हुए कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 122 के तहत कार्रवाई की गई है। जिसमें 300 रूपये का चलान काटा गया है। इस मामले की गंभीरता को नजरअंदाज करने पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ सस्पेंड सहित विभागीय कार्रवाई हो।

सड़क पर जन्मदिन पार्टी का मामला, हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

हाईकोर्ट ने इस मामले में शासन के मुख्य सचिव से शपथपत्र तलब किया  है। दरअसल  राजधानी रायपुर में 30 जनवरी 2025 को इस घटनाक्रम को लेकर एक खबर प्रकाशित हुई थी।  खबर में रायपुरा चौक के पास बीच सड़क पर कार रोककर बर्थडे पार्टी मानने को लेकर वीडियो वायरल की जानकारी भी दी गई थी। खबर में बीच सड़क में दो कार को बीच सड़क पर खड़ा कर कार की बोनट में केक रखकर काटा गया बताया गया,जिससे जाम भी लग गया। इस पूरे मामले को लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बैंच ने संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की और शासन से जवाब मांगा है।

संजीवनी 108 की गाड़ियों को लेकर भी हुई सुनवाई


हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग की आपातकालीन सेवा संजीवनी 108 की गाड़ियों के बुरे हालात पर प्रकाशित खबर को संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू कर दी है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में इस मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने 108 वाहनों की बदहाल स्थिति को लेकर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने पूरे राज्य में 108 वाहनों की स्थिति को लेकर के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत ठाकुर से पूछा कि आपातकालीन स्थिति में अत्याधुनिक तकनीक सुविधा वाली कितनी एम्बुलेंस हैं..? इसकी जानकारी उपलब्ध कराई जाए। इस मामले में अगली सुनवाई आगामी 14 फरवरी तय की गई है।

मुरूम के अनाधिकृत उत्खनन मामले में सुनवाई हुई

हाइकोर्ट ने सेना की जमीन से सटी जगह में मुरूम के अनाधिकृत उत्खनन मामले में सोमवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बैंच ने इस मामले सचिव से मांगे शपथपत्र के बारे में पूछा। जिसपर खनिज विभाग द्वारा भौतिक सत्यापन और मुरूम की लोक निर्माण विभाग के द्वारा रिपोर्ट के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा गया। दरअसल छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मुरूम खुदाई के मद्देनजर 9 जनवरी 2025 को दिए आदेश में कहा था कि सचिव, खान एवं खनिज, छत्तीसगढ़ शासन ने ऐसे सभी कॉलोनाइजरों को नोटिस जारी करने, जिन पर कथित तौर पर संबंधित भूमि से उत्खनित मुरूम का उपयोग करने का आरोप है। वहीं यह भी स्पष्ट करने कहा कि अधिकारियों द्वारा किस तरीके और तंत्र को अपनाया गया है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि संबंधित भूमि से उत्खनित मुरूम और कॉलोनाइजरों द्वारा उपयोग की गई मुरूम अलग-अलग हैं। इस मामले में शपथपत्र पेश करने शासन का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता ने 2 सप्ताह का समय मांगा। जिसे स्वीकार कर अगली सुनवाई 21 फरवरी को रखी गई।

हाईकोर्ट बैंच ने इस मामले सचिव से मांगे शपथपत्र के बारे में पूछा

पिछली सुनवाई में सचिव ने अपने शपथपत्र में कहा था कि मुरूम खुदाई मामले में  01/01/2025 को, 26/12/2024 के नोटिस का जवाब ट्रांजिट पास और अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किया गया था।  माइनिंग इंस्पेक्टर ने भौतिक जांच की गई है और इस आशय की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी कि उपयोग की गई मुरुम चकरभाटा, तेलसरा क्षेत्र की मुरुम से भिन्न है।  चूंकि नोटिस प्राप्तकर्ता प्रयुक्त मुरुम की वैध खरीद को संतुष्ट करने में विफल रहा, इसलिए खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 21(5) एवं 23(ए) के अंतर्गत 6,88,848/- रुपए का जुर्माना लगाया गया तथा वसूली पत्र जारी किया गया है।  कोर्ट ने 14 दिसंबर 2024 को बिलासपुर में एक समाचार प्रकाशित खबर में  तिफरा और चकरभाटा क्षेत्र में 54 कॉलोनियां हैं, जहां अनाधिकृत रूप से खनन किए गए मुरूम का उपयोग किया गया पर संज्ञान लिया था।

बांधा तालाब के पास खनन की मंजूरी और दूसरी जगह कर रहे खुदाई

इसके अलावा 25 दिसंबर 2024 को एक अन्य समाचार भी प्रकाशित खबर जिसमें शैलेश अग्रवाल और अन्य व्यक्तियों सहित कुछ नामों को उजागर किया गया था, लेकिन अधिकारियों ने केवल प्रतिवादी संख्या 10  को ही नोटिस जारी किया गया है। हाइकोर्ट ने  31 दिसंबर 2024 को बिलासपुर में रक्षा विभाग की जमीन पर खनन रोकने के बजाय रॉयल्टी बुक दे दिया, बांधा तालाब के पास खनन की मंजूरी और दूसरी जगह कर रहे खुदाई।” शीर्षक से प्रकाशित समाचार रिपोर्ट में पता चलता है कि खनन विभाग और ग्राम पंचायत के अधिकारी आपस में मिले हुए हैं और उनकी भूमिका संदिग्ध है। हाइकोर्ट ने इसके मद्देनजर 9 जनवरी 2025 को दिए आदेश में कहा कि सचिव, खान एवं खनिज, छत्तीसगढ़ शासन ने ऐसे सभी कॉलोनाइजरों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है, जिन पर कथित तौर पर संबंधित भूमि से उत्खनित मुरूम का उपयोग करने का आरोप है। वहीं यह भी स्पष्ट करने कहा कि अधिकारियों द्वारा किस तरीके और तंत्र को अपनाया गया है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि संबंधित भूमि से उत्खनित मुरूम और कॉलोनाइजरों द्वारा उपयोग की गई मुरूम अलग-अलग हैं। इस मामले में सचिव से हलफनामा मांगा था।  वहीं कोर्ट में मुरूम की जांच करने के लिए लोक निर्माण विभाग की रिपोर्ट को लेकर समय मांगा गया। इसे स्वीकार कर 21 फरवरी को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

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