750 किमी की पदयात्रा के बाद जप-तप को पहुंचे विष्णु गिरि, नेपाल के महाराज बने निरंजनी अखाड़े के संत

राजेन्द्र देवांगन
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संगम की रेती पर देश-विदेश से आए संत-महात्मा, जन कल्याण के लिए तरह-तरह के संकल्प लेते हैं। इन्हीं में से एक हैं नेपाल के विष्णु गिरी महाराज, जो महाकुंभ के लिए 750 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर प्रयागराज पहुंचे हैं।

प्रयाग क्षेत्र में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का ही संगम नहीं होता है, बल्कि देश के कोने-कोने से आए लोगों और उनकी संस्कृतियों का भी संगम होता है।

संगम की रेती पर देश-विदेश से आए संत-महात्मा, जन कल्याण के लिए तरह-तरह के संकल्प लेते हैं। इन्हीं में से एक हैं नेपाल के विष्णु गिरी महाराज, जो महाकुंभ के लिए 750 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर प्रयागराज पहुंचे हैं। यह यात्रा उन्होंने करीब नाै माह में पूरी की है।

विष्णु गिरी महाराज, नेपाल के मुक्तिनाथ गोरखा जिले के रहने वाले हैं। वह निरंजनी अखाड़े के संत हैं। उन्हाेंने बताया कि एक साल पहले उन्होंने महाकुंभ के समय प्रयागराज पैदल यात्रा का संकल्प लिया था। एक अप्रैल 2024 से उन्होंने यात्रा शुरू की थी।

इस बीच वह चलते-चलते रास्ता भूलकर शिमला पहुंच गए थे। जब उन्हें इसका पता चला तो फिर से यूपी का रुख किया। उन्होंने कहा कि संगम स्नान के बाद सारी थकावट दूर हो गई। उसके बाद निरंजनी अखाड़े जाकर साथी संतों से मिले। 

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