आयोजित दो दिवसीय रामायण प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में पहुंची दिग्विजय महाविद्यालय प्राध्यापक डॉ. बीएन जागृत ने कहा कि रामायण एक ऐसा धर्म ग्रंथ है जिसे दिल से सुनकर, पढ़कर आत्मसात किया जाए तो पूरी धरती ही स्वर्ग बन जाएगी। रामायण में जहां एक तरफ यह बताया गया है कि परिस्थितियां चाहे जो भी आ जाए अपने कर्तव्य से पीछे ना हटें।
भगवान श्री राम का नाम लेना बहुत अच्छी बात है पर उनके आचरण को अपनी जिंदगी में डाल लेना बहुत बड़ी बात है, क्योंकि जो चरण होते हैं मंदिर तक ले जाते हैं और आचरण जो होते हैं वह भगवान तक ले जाते हैं।समाज के सभी वर्ग जब मर्यादा पुरुषोत्तम राम की तरह मर्यादा का पालन करेंगे तो समाज में सुख और शांति होगी।
अन्यथा यह तो वही बात होगी शास्त्र पढ़ाए विविध-विधि, दुर्जन साधु न होय, ज्यों सींचे दुग्ध घृत नीम न मीठी होय। संचालन पत्रकार राजेश मेश्राम ने किया। कार्यक्रम में अप्पू खां, माधोसिंह उके, क्षत्रिय कुमार सलामे, अयूब खां, फगवा राम साहू, मानदास सिन्हा, सुनउराम सलामे, जीतूराम चंद्रवंशी, भुवनेश्वर दमगरे, लल्लू राम कौशिक आदि मौजूद थे।धर्म ग्रंथों से हमें प्रेरणा ही मिलती: नायब तहसीलदार कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे नायब तहसीलदार डोंगरगांव जेपी खुंटे ने कहा कि धर्म ग्रंथों से हमें प्रेरणा ही मिलती है। धर्म ग्रंथ में झूठ का स्थान नहीं है।
धार्मिक आयोजन से हमें सीख मिलती है कि हम जीवन को कैसे अच्छा बना सकते हैं। रामायण पर कहा कि इस ग्रंथ में वर्णित हर चरित्र आत्मसात करने के लिए ही है। वहीं ग्राम पंचायत के सरपंच सुरेंद्र मेश्राम ने कहा कि शील, सदाचार सब कुछ रामायण में है, हमारा दो दिवसीय रामायण प्रतियोगिता का आयोजन जरूर सार्थक होगा, जब हम दिल से अपने लिए यहां से कुछ लेकर जाएंगे।जिंदगी में किसी व्यक्ति को परफेक्ट नहीं कह सकते विशिष्ट अतिथि डिप्टी रेंजर खुज्जी मुक्तेश्वर वर्मा ने कहा कि जिंदगी में किसी भी व्यक्ति को परफेक्ट नहीं कहा जा सकता।
एक इंसान में एक अच्छाई है तो दूसरी अन्य कुछ बुराइयां होती ही है। इस तरह के आयोजनों में आकर यहां मिलने वाली शिक्षा से हमारे बुरे विचारों की धुलाई होती है। वहीं जिला पंचायत सदस्य ह्रदयराम चंद्रवंशी ने कहा कि रामायण का आयोजन मानवता की सीख है जहां दया, प्रेम, त्याग सहिष्णुता, क्रोध, क्षमा और त्याग का मिश्रण है। वहीं आयोजक समिति के अध्यक्ष संपत बलपेला ने आभार प्रदर्शन किया।