” नक्सल मोर्चे पर सुकमा पुलिस व CRPF का एक और कदम- मेटागुड़म में खुला नया कैम्प

राजेन्द्र देवांगन
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सुकमा -बस्तर में बीते चार दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. यहां थाना खोलना या पुलिस कैंप स्थापित करना किसी चुनौती से कम नहीं होता. इसकी वजह है नक्सलियों का खौफ, लेकिन बीते पांच सालों में बस्तर में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों ने 40 सालों से नामुमकिन कामों को मुमकिन कर दिखाया है. पांच सालों में बस्तर संभाग के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों CRPF पुलिस कैंप स्थापित किए गए हैं.

इन कैंपों में से बुधवार को सुकमा  जिले के पूवर्ती गांव में खुला कैंप पुलिस की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. दरअसल, ये 30 लाख रुपये के इनामी नक्सली झीरमघाटी, कसालपाड़, बुर्कापाल के साथ-साथ 20 से ज्यादा बड़े नक्सली हमलों के मास्टरमाइंड खूंखार नक्सली हिड़मां और देवा का क्षेत्र है.

इस पूवर्ती गांव में पहुंचने और पुलिस कैंप स्थापित करने के लिए बस्तर पुलिस को 40 साल लग गए. हिड़मा और देवा जैसे  बड़े नक्सलियों का खास ठिकाना और उनका घर भी सुकमा जिले के पूवर्ती गांव में मौजूद है. बुधवार को सुकमा पुलिस ने गांव में नया पुलिस कैंप स्थापित किया. इस दौरान सुकमा एसपी भी यहां पहुंचे.

सुकमा जिले के एसपी  किरण चव्हाण  ने बताया कि पुलिस ने अपने इतिहास में अब तक के सबसे खतरनाक इलाके में कैंप खोलने में सफलता हासिल की है. इसके लिए वे खुद इस नए कैंप में मोर्चा संभाले हुए हैं.

एसपी ने बताया कि यहां  पुलिस कैंप स्थापित करने से नक्सली पूरी तरह से बौखला गए हैं.  जवानों की सतर्कता की वजह से नक्सली अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सके और जवानों ने यहां कैम्प स्थापित कर लिया.

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