“मैप से गायब लेकिन विश्व पर्यटन में खास: बस्तर के धुड़मारास गांव की अनोखी पहचान”

राजेन्द्र देवांगन
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बस्तर: छत्तीसगढ़ का बस्तर अपनी खूबियों और नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर है. पर्यटन के क्षेत्र में एक राह मुड़ती है तो एक नई राह अपने आप जुड़ती है. यही कारण है कि पर्यटन के क्षेत्र में बस्तर ने 2024 में विश्वभर में अपनी नई पहचान बनाई है. 2024 बस्तर के लिए पर्यटन के क्षेत्र में काफी ऐतेहासिक रहा है. बस्तर के कांगेर वेली नेशनल पार्क के सरहदी इलाके में बसे धुड़मारास गांव ने विश्व में अपनी पहचान बनाई है.

सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव में धुड़मारास: धुड़मारास को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO, United Nations World Tourism Organisation) की तरफ से सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के उन्नयन कार्यक्रम के लिए चयनित किया गया है. संयुक्त राष्ट्र के पर्यटन ग्राम उन्नयन कार्यक्रम के लिए 60 देशों से चयनित 20 गांवों में भारत से बस्तर के धुड़मारास ने अपनी जगह बनाई है.

year ender 2024

कोटमसर ग्राम पंचायत का आश्रित गांव है धुड़मारास (ETV Bharat Chhattisgarh)

प्रकृति की गोद में बसा धुड़मारास गांव: धुड़मारास गांव छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर में मौजूद है. पहाड़ों और नदी के बीच घने जंगल में प्रकृति की गोद में यह गांव बसा हुआ है. यह गांव गूगल मैप पर नजर नहीं आता है और ना ही इसे राजस्व या वन गांव का दर्जा मिला है. इसके बावजूद इस गांव ने अपने सामूहिक परिश्रम और एकजुटता का परिचय दिया है.

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पर्यटकों का स्वागत द्वार धुरवाडेरा

धुड़मारास में पर्यटकों के लिए व्यवस्थाएं: धुड़मारास गांव जगदलपुर से सुकमा रोड पर स्थित कांगेर वेली नेशनल पार्क के सरहदी इलाके में मौजूद है. गांव में पहुंचते ही पर्यटकों को एक स्वागत द्वार दिखता है. जिसमें धुरवा डेरा लिखा गया है. धुरवा इस क्षेत्र में निवास करने वाली जनजाति है और डेरा उनके रहने के स्थान को कहा जाता है. इस डेरे के भीतर होम स्टे बनाया गया है. होम स्टे की दीवार बांस की चटाई और लाल ईंट से बनाई गई है. जहां स्थानीय लोगों के साथ देश विदेश से पहुंचने वाले पर्यटक ठहरते हैं. पर्यटकों के लिए जंगलों में मिलने वाले व्यंजनों से भोजन तैयार करके परोसा जाता है. इसके साथ ही गांव के लोग आदिवासी नृत्य संगीत के जरिए भी पर्यटकों को मनोरंजन करते हैं.

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धुड़मारास में पर्यटकों के लिए कौटेज

पर्यटन को बढ़ावा मिलने से पलायन रुका: पर्यटन शुरू होने से स्थानीय युवाओं का पलायन रुक गया है. गांव में 40 परिवार रहते हैं. रोजगार के साथ ही गांव को पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है. इस पर्यटन गांव में पर्यटकों के लिए बैम्बू राफ्टिंग, कयाकिंग, ट्रेकिंग, बर्ड वाचिंग जैसी सुविधाएं भी शामिल हैं. ताकि पर्यटक प्रकृति को करीब से महसूस कर सके.

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पर्यटकों के रहने के लिए काफी अच्छी व्यवस्था

बैम्बू राफ्टिंग और कयाकिंग की सुविधा: धु़ड़मारास गांव में कांगेर नदी बहती है. जो आगे जाकर शबरी नदी में मिल जाती है. इसी नदी में बैम्बू राफ्टिंग और कयाकिंग कराया जाता है. दोनों के लिए एक सीमा निर्धारित किया गया है. उस सीमा के आगे स्थानीय लोगों का पूजा क्षेत्र मौजूद है. दोनों एक्टिविटी के दौरान पर्यटक अपने आप को प्रकृति के बीच महसूस करते हैं.

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कयाकिंग की भी सुविधा

यह गांव कोटमसर ग्राम पंचायत का आश्रित गांव है. लेकिन ना इसे राजस्व ग्राम का दर्जा है, न सामान्य वन ग्राम और न ही कांगेरवेली ग्राम का दर्जा है. जिसके कारण स्थानीय आदिवासी शासकीय योजनाओं का लाभ बेहतर तरीके ने नहीं ले पा रहे हैं. हालांकि इसे राजस्व ग्राम बनाने की लड़ाई ग्रामीण लड़ रहे हैं.

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