दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला: वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा के पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा, डीपफेक सामग्री हटाने का निर्देश

राजेन्द्र देवांगन
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दिल्ली हाई कोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा की: डीपफेक सामग्री हटाने का निर्देश

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के पर्सनैलिटी राइट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उनके खिलाफ बनाए गए डीपफेक कंटेंट को हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि उनके नाम, चेहरे, छवि, आवाज, तस्वीर, वीडियो आदि का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) या डीपफेक तकनीक के माध्यम से बिना उनकी लिखित सहमति के किसी भी प्रकार के व्यावसायिक या व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

यह आदेश जस्टिस अमित बंसल की पीठ ने दिया, जिसमें 8 प्रतिवादी व्यक्तियों और संस्थाओं को निर्देशित किया गया है।

रजत शर्मा ने याचिका में किए गंभीर आरोप

रजत शर्मा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि उनके व्यक्तित्व और छवि का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। AI तकनीक के माध्यम से उनके चेहरे और आवाज़ को बदलकर नकली वीडियो बनाए गए हैं, जिनमें झूठी स्वास्थ्य जानकारी भी शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की सामग्री उनके शो ‘आज की बात: रजत शर्मा के साथ’ के फुटेज और इंडिया टीवी के रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क का उल्लंघन कर रही है।

फर्जी कंटेंट हटाने का आदेश

कोर्ट ने Meta Platforms Inc. (फेसबुक और इंस्टाग्राम की मूल कंपनी) को निर्देश दिया कि वे तुरंत डीपफेक और अन्य फर्जी सामग्री को अपने प्लेटफॉर्म से हटाएं। कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता को भविष्य में किसी अन्य फर्जी वीडियो या सामग्री का पता चलता है, तो वे Meta Platforms से संपर्क कर उसे ब्लॉक या हटाने का अनुरोध कर सकते हैं।

प्रारंभिक जांच में याचिकाकर्ता के पक्ष में मामला

कोर्ट ने कहा कि याचिका के आधार पर प्रथम दृष्टया मामला रजत शर्मा के पक्ष में है। यह स्पष्ट किया गया कि अगर इस प्रकार की सामग्री को प्रसारित होने दिया गया, तो इससे रजत शर्मा की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति हो सकती है।

मामले की अगली सुनवाई 3 अप्रैल 2025 को होगी

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 अप्रैल 2025 की तारीख तय की है। इस मामले में रजत शर्मा की ओर से सीनियर वकील साईकृष्ण राजगोपाल, दिशा शर्मा, स्नेहिमा जौहरी और दीपिका पोखरी ने उनका पक्ष रखा।

निष्कर्ष

यह आदेश व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बढ़ते दुरुपयोग के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। रजत शर्मा ने इस आदेश का स्वागत करते हुए इसे एक सकारात्मक दिशा में कदम बताया।

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