कोंडागांव में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से करोड़ों के मेडिकल वाहन कबाड़ हो रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने मामले में संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
मामले का खुलासा तब हुआ, जब एक सड़क हादसे में मरीजों को लाने वाली एम्बुलेंस के दस्तावेज जांचे गए और पता चला कि वाहन का न तो पंजीकरण हुआ है और न ही वैध कागजात हैं। अब, बिना नंबर और इंश्योरेंस के इन एम्बुलेंस को बाहर निकालना संभव नहीं है।
कोंडागांव में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से करोड़ों के मेडिकल वाहन कबाड़ हो रहे हैं।
वाहन शाखा प्रभारी की बड़ी चूक
वाहन शाखा प्रभारी का काम समय पर पंजीकरण कराना भी होता है। लेकिन उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को नजरअंदाज करते हुए पंजीकरण नहीं कराया। इन वाहनों के कागजात पूरे न होने के कारण अब वे सिर्फ सरकारी परिसर की शोभा बढ़ा रही हैं।
जब लापरवाही का यह मामला सामने आया, तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी कोंडागांव ने शासन-प्रशासन को इसकी जानकारी दी। जांच टीम ने 6 महीने पहले अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है, लेकिन अब तक किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं हुई।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सेवाएं ठप
इन एम्बुलेंस की खरीदी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बेहतर चिकित्सा सेवाएं देने के लिए की गई थी। लेकिन अब यह योजना विभागीय लापरवाही के चलते ठप पड़ी है। मरीजों को सुविधा देने के बजाय ये वाहन कबाड़ होने की कगार पर हैं।
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