महासमुंद में महिला आयोग की जनसुनवाई: 18 प्रकरणों पर हुई सुनवाई, विवादों में सुलह के प्रयास

राजेन्द्र देवांगन
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महासमुंद, 16 दिसंबर 2024: छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और सदस्यगण श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, श्रीमती सरला कोसरिया, और श्रीमती ओजस्वती मंडावी ने आज कलेक्टर सभा कक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित मामलों की जनसुनवाई की। यह प्रदेश स्तर पर 297वीं और जिला स्तर पर 9वीं सुनवाई थी। महासमुंद में आयोजित इस जनसुनवाई में कुल 18 प्रकरण सुनवाई के लिए रखे गए।

प्रमुख प्रकरणों पर चर्चा:

1. थाना प्रभारी को नोटिस:
एक मामले में थाना प्रभारी बसना को नोटिस जारी किया गया, जबकि आवेदिका अनुपस्थित रही। आगामी सुनवाई में आवेदिका की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। अनुपस्थिति की स्थिति में थाना प्रभारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई।


2. जमीन विवाद में सुलह के प्रयास:
एक प्रकरण में, सरपंच ग्राम लामी के पति और अन्य अनावेदकों द्वारा आवेदिका की जमीन पर पेड़ उखाड़ने और फेंसिंग तार काटने की शिकायत प्रमाणित पाई गई। मामले में 29 दिसंबर 2024 को ग्राम पंचायत भवन पचरी में सुलह प्रक्रिया आयोजित की जाएगी। इसमें महिला आयोग की सदस्य श्रीमती सरला कोसरिया, संरक्षण अधिकारी पूनम कोसरिया, और काउंसलर जागेश्वरी सोनवानी सहित चार पुलिस बल उपस्थित रहेंगे।


3. दूसरी शादी और बच्चों के विवाद:
एक अन्य मामले में अनावेदक ने आवेदिका को तलाक दिए बिना दूसरी शादी कर ली और बच्ची को अपने पास रख लिया। सुनवाई के दौरान अनावेदक का मोबाइल जब्त किया गया। अगली सुनवाई 24 दिसंबर 2024 को रायपुर में रखी गई है।


4. संपत्ति विवाद:
मृतक उमेश चंद्राकर की संपत्ति को लेकर विवाद में आवेदिका ने अपने नाम संपत्ति दर्ज कराई, जबकि परिवार के अन्य हिस्सेदारों को हिस्सा नहीं दिया। महिला आयोग ने निर्देश दिया कि हिस्सेदार उपभोक्ता फोरम में कार्रवाई कर सकते हैं। साथ ही, नगर पालिका महासमुंद में आवेदिका का नाम संपत्ति रिकॉर्ड से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने का सुझाव दिया गया।


5. 498ए और 494 के तहत दर्ज मामला:
एक प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदकों के खिलाफ धारा 494 और 498ए के तहत शिकायत दर्ज कराई। मामला न्यायालय में लंबित होने के कारण प्रकरण को आयोग ने नस्तीबद्ध कर दिया।



आयोग के निर्देश:

सभी पक्षों को समझाइश दी गई कि सुलह प्रक्रिया में शामिल हों और अपने अधिकारों के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाएं। महिला आयोग ने सुनवाई के दौरान पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए।

आयोग की अगली सुनवाई निर्धारित तारीखों और स्थानों पर आयोजित होगी।

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