दुर्ग-विशाखापट्टनम वंदे भारत: यात्री संख्या कम, रेलवे घटाएगा कोच
देशभर में चल रही 50 से अधिक वंदे भारत ट्रेनों में से कई को यात्रियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इन्हीं में से एक है दुर्ग-विशाखापट्टनम वंदे भारत एक्सप्रेस। वर्तमान में इस ट्रेन की यात्री संख्या केवल 30% है। रेलवे ने यात्रीभार बढ़ाने के लिए 16 कोच की जगह 8 कोच का प्रस्ताव भेजा है।
8 कोच में मिलेगा बेहतर संतुलन
रेलवे का मानना है कि 8 कोच होने से इस ट्रेन को पर्याप्त यात्री मिलने लगेंगे। वंदे भारत ट्रेनों के कोच की संख्या रूट और यात्रीभार के आधार पर 8, 16, या 20 रखी जाती है। रायपुर-विशाखापट्टनम रूट पर 8 कोच वाला रेक ज्यादा व्यावहारिक और लाभदायक हो सकता है।
वर्तमान कोच संरचना
16 कोच वाली दुर्ग-विशाखापट्टनम वंदे भारत एक्सप्रेस में दो एग्जीक्यूटिव क्लास और 14 चेयर कार कोच हैं। इसकी कुल बैठने की क्षमता 1128 है। लेकिन यात्री संख्या कम होने और महंगे किराए के कारण यह ट्रेन रेलवे के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है।
महंगे किराए की वजह से यात्री दूर
वंदे भारत एक्सप्रेस में यात्रियों की कमी का मुख्य कारण महंगा किराया है।
एग्जीक्यूटिव क्लास (भोजन सहित): ₹2,825
एग्जीक्यूटिव क्लास (बिना भोजन): ₹2,410
चेयर कार (भोजन सहित): ₹1,565
चेयर कार (बिना भोजन): ₹1,205
यही वजह है कि वंदे भारत की तुलना में यात्रियों की प्राथमिकता अन्य सस्ती ट्रेनों जैसे समता एक्सप्रेस या दुर्ग-विशाखापट्टनम एक्सप्रेस को मिल रही है। इन ट्रेनों में 17 दिसंबर तक स्लीपर और एसी कोच में सीट उपलब्ध है। जबकि वंदे भारत में 14 दिसंबर से 10 फरवरी तक सीटें खाली हैं।
रेलवे का निर्णय जनवरी के बाद
रेलवे लगातार इस ट्रेन की ऑक्यूपेंसी का विश्लेषण कर रहा है। जनवरी तक स्थिति का आकलन करने के बाद इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। सीनियर पीआरओ संतोष कुमार ने बताया कि ट्रेन की उपयोगिता बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।
महंगा किराया और यात्रीभार की कमी रेलवे को कोच घटाने जैसे कदम उठाने पर मजबूर कर रही है। उम्मीद है कि 8 कोच वाली ट्रेन इस रूट पर बेहतर प्रदर्शन करेगी।