नया साल भगवान झूलेलाल के नाम
31 दिसंबर की पूर्व संध्या पर श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चकरभाठा में
श्री झूलेलाल चालिहा उत्सव के अवसर पर एवं नए साल के आगमन पर
श्री झूलेलाल धूनी कार्यक्रम में
कटनी की मशहूर बालक मंडली का कार्यक्रम का आयोजित किया गया आयोजक बाबा गुरु मुख दास सेवा समिति व महिला सखी सेवा ग्रुप
के द्वारा भक्ति में संगीत में कार्यक्रम का आयोजन किया गया
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल एवं बाबा गुरमुख दास जी के फोटो पर माला पहना कर दीप प्रज्वलित करके की गई
बालक मंडली के गोवर्धन भाई एवं दिलीप कुमार ने कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल के भजन से की बीच-बीच में ज्ञानवर्धक बातें भी बताते रहें कार्यक्रम रात 10:00 बजे आरंभ हुआ 12:00 बजे समापन हुआ
कई भक्ति भरे भजन गाए गए लाल झूले लाल झूले लाल
जिसको है भगवान झूलेलाल से प्यार वह हाथ ऊपर करें
बेटियां क्यों पराई हैं
कोहर लेके चला साई भक्त कवर राम
छुक छुक छुक छुक जीवन की रेल चली है
चालीहा आया है झूलेलाल का
ऐसे कई भक्ति भरे भजन गाए जिसे सुनकर भक्तजन झूम उठे
रात 11:58 पर नितनेम के द्वारा श्री हनुमान जी का पाठ का चालीसा किया गया
रात ठीक 12:00 बजे शंख की ध्वनि बजने लगे घंटियां बजने लगे मंदिर के
सभी ने 2020 को विदाई दी और 2021 के आगमन की बधाई दी
इस अवसर पर छोटे-छोटे बच्चों के द्वारा भक्ति भरे भजन पर शानदार नृत्य किया गया
बिलासपुर से दैनिक भास्कर के पत्रकार विनोद पटेल लोक स्वर की पत्रकार उषा सोनी जी को संत लाल साई जी ने शाल पहनाकर सम्मान किया
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा के विपक्ष के नेता माननीय श्री धरमलाल कौशिक जी भी पहुंचे एवं मंदिर में माथा टेका संत जी से आशीर्वाद लिया
उन्होंने भी चालीहा उत्सव व नए वर्ष की सभी को बधाई दी
साईं जी के द्वारा माननीय धर्मलाल कौशिक जी को छा ल पहना कर सम्मान किया
पूज्य सिंधी पंचायत चकरभाठा के अध्यक्ष प्रकाश जेसवानी ने भी श्री धरमलाल कौशिक जी का फूलों का गुलदस्ता दे कर स्वागत किया
प्रकाश जेसवानी ने ज्ञानवर्धक एक लघु कहानी सुनाई
जिसका शीर्षक था
धर्म ही सच्चा साथी है
एक छोटे से गाँव मे श्रीधर नाम का एक व्यक्ति रहता था स्वभाव से थोड़ा कमजोर और डरपोक किस्म का इंसान था!
एक बार वो एक महात्माजी के दरबार मे गया और उन्हे अपनी कमजोरी बताई और उनसे प्रार्थना करने लगा की हॆ देव मुझे कोई ऐसा साथी मिल जायें जो सबसे शक्तिशाली हो और विश्वासपात्र भी जिस पर मैं आँखे बँद करके विश्वास कर सकु जिससे मैं मित्रता करके अपनी कमजोरी को दुर कर सकु! हॆ देव भले ही एक ही साथी मिले पर ऐसा मिले की वो मेरा साथ कभी न छोड़े!
तो महात्मा जी ने कहा पुर्व दिशा मे जाना और तब तक चलते रहना जब तक तुम्हारी तलाश पुरी न हो जायें! और हाँ तुम्हे ऐसा साथी अवश्य मिलेगा जो तुम्हारा साथ कभी नही छोडेंगा बशर्ते की तुम उसका साथ न छोड़ो!
श्रीधर – बस एक बार वो मुझे मिल जायें तो फिर मैं उसका साथ कभी न छोडूंगा पर हॆ देव मॆरी तलाश तो पुरी होगी ना?
महात्माजी – हॆ वत्स यदि तुम सच्चे दिल से उसे पाना चाहते हो तो वो बहुत सुलभता से तुम्हे मिल जायेगा नही तो वो बहुत दुर्लभ है!
फिर उसने महात्माजी को प्रणाम किया आशीर्वाद लिया और चल पड़ा अपनी राह पर चल पड़ा!
सबसे पहले उसे एक इंसान मिला जो शक्तिशाली घोड़े को काबू मे कर रहा था। तो उसने देखा यही है वो। जैसै ही उसके पास जाने लगा तो उस इंसान ने एक सैनिक को प्रणाम किया और घोड़ा देकर चला गया।
श्रीधर ने सोचा सैनिक ही है वो।तो वो मित्रता के लिये आगे बड़ा पर इतने मे सैनापति आ गया। सैनिक ने प्रणाम किया और घोड़ा आगे किया। सैनापति घोड़ा लेकर चला गया। श्रीधर भी खुब दौड़ा और अन्ततः वो सैनापति तक पहुँचा। पर सैनापति ने राजाजी को प्रणाम किया और घोड़ा देकर चला गया। तो श्रीधर ने राजा को मित्रता के लिये चुना और उसने मित्रता करनी चाही। पर राजा घोड़े पर बैठकर शिकार के लिये वन को निकले श्रीधर भी भागा और घनघोर जंगल मे श्रीधर पहुँचा पर राजा कही न दिखे!
प्यास से उसका गला सुख रहा था थोड़ी दुर गया तो एक नदी बह रही थी वो पानी पीकर आया और एक वृक्ष की छाँव मे गया तो वहाँ एक राहगीर जमीन पे सोया था और उसके मुख से राम राम की ध्वनि सुनाई दे रही थी और एक काला नाग उस राहगीर के चारों तरफ चक्कर लगा रहा था श्रीधर ने बहुत देर तक उस दृश्य को देखा और फिर वृक्ष की एक डाल टूटकर नीचे गिरी तो साँप वहाँ से चला गया और इतने मे उस राहगीर की नींद टूट गई और वो उठा और राम राम का सुमिरन करते हुये अपनी राह पे चला गया!
श्रीधर पुनः महात्माजी के आश्रम पहुँचा और सारा किस्सा कह सुनाया और उनसे पुछा हॆ नाथ मुझे तो बस इतना बताओ की वो कालानाग उस राहगीर के चारों और चक्कर काट रहा था पर वो उस राहगीर को डँस क्यों नही पा रहा था!
लगता है देव की कोई अद्रश्य सत्ता उसकी रक्षा कर रही थी! महात्माजी ने कहा उसका सबसे सच्चा साथी ही उसकी रक्षा कर रहा था जो उसके साथ था तो श्रीधर ने कहा वहाँ तो कोई भी न था देव बस संयोगवश हवा चली वृक्ष से एक डाली टूटकर नाग के पास गिरी और नाग चला गया!
महात्माजी ने कहा नही वत्स *उसका जो सबसे अहम साथी था वही उसकी रक्षा कर रहा था जो दिखाई तो नही दे रहा था पर हर पल उसे बचा रहा था और उस साथी का नाम है “धर्म” हॆ वत्स धर्म से समर्थ और सच्चा साथी जगत मे और कोई नही है केवल एक धर्म ही है जो सोने के बाद भी तुम्हारी रक्षा करता है और मरने के बाद भी तुम्हारा साथ देता है! हॆ वत्स पाप का कोई रखवाला नही हो सकता और धर्म कभी असहाय नही है महाभारत के युध्द मे भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों का साथ सिर्फ इसिलिये दिया था क्योंकि धर्म उनके पक्ष मे था!*
हॆ वत्स तुम भी *केवल धर्म को ही अपना सच्चा साथी मानना और इसे मजबुत बनाना क्योंकि यदि धर्म तुम्हारे पक्ष मे है तो स्वयं नारायण और सद्गुरु तुम्हारे साथ है नही तो एक दिन तुम्हारे साथ कोई न होगा और कोई तुम्हारा साथ न देगा और यदि धर्म मजबुत है तो वो तुम्हे बचा लेगा इसलिये धर्म को मजबुत बनाओ!*
*कथासार*
*इस संसार मे समय बदलने पर अच्छे से अच्छे साथ छोड़कर चले जाते है केवल एक धर्म ही है जो घनघोर बीहड़ और गहरे अन्धकार मे भी तुम्हारा साथ नही छोडेंगा कदाचित तुम्हारी परछाई भी तुम्हारा साथ छोड़ दे परन्तु धर्म तुम्हारा साथ कभी नही छोडेंगा बशर्ते की तुम उसका साथ न छोड़ो इसलिये धर्म को मजबुत बनाना क्योंकि केवल यही है हमारा सच्चा साथी!*
कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई अरदास की गई पल्लो पाया गया एवं प्रसाद वितरण किया गया
इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में भक्तजन
बिलासपुर चकरभाटा बिल्हा भाटापारा तिल्दा रायपुर
शहरों से अपने अपने साधनों से पहुंचे थे
इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में
बाबा गुरमुखदास सेवा समिति श्री झूलेलाल सेवा समिति महिला सखी सेवा ग्रुप
पूज्य सिंधी पंचायत चकरभाठा
के सभी सदस्यों का सहयोग रहा
भवदीय
विजय दुसेजा बिलासपुर से
Editor In Chief