बिलासपुर । शहर के समीप बना बिलासा ताल, जो एक समय पर पर्यटकों का पसंदीदा स्थल हुआ करता था, आज बदइंतजामी और लापरवाही का शिकार है। वन विभाग की अनदेखी ने इसे बदहाल बना दिया है।

बिलासा ताल, जो 2009 में जिला प्रशासन की पहल पर अस्तित्व में आया, वन विभाग को इसके संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। शुरुआत में कम पर्यटक यहां पहुंचते थे, लेकिन समय के साथ इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई।

तालाब के भीतर लकड़ी का ब्रिज टूटा पड़ा है, जिससे पर्यटकों की आवाजाही बाधित है। वहीं, तालाब में वोटिंग जैसी सुविधाएं भी बंद कर दी गई हैं। फर्श के पत्थर उखड़े हुए हैं, मूर्तियों के हिस्से गायब हैं, और कई जगह लाइट्स काम नहीं कर रहीं। रात के समय यहां अंधेरा पसरा रहता है।

हालांकि, अब स्थिति बिल्कुल उलट है। वन विभाग पर्यटकों से प्रवेश शुल्क तो वसूल रहा है, लेकिन सुविधाओं का अभाव साफ नजर आता है।यहां की अव्यवस्था को देखकर हर पर्यटक निराश हो जाता है। पार्क में झूले जर्जर हो चुके हैं, बैठने के लिए टूटी कुर्सियां हैं, और सफाई के नाम पर जगह-जगह गंदगी बिखरी पड़ी है। डस्टबिन भी खराब हालत में हैं, जो सफाई व्यवस्था की पोल खोलते हैं।

वन विभाग द्वारा प्रवेश शुल्क बढ़ाने के बावजूद सुविधाओं का अभाव लोगों की नाराजगी बढ़ा रहा है। वन विभाग की यह लापरवाही न केवल पर्यटकों के लिए परेशानी खड़ी कर रही है, बल्कि इस खूबसूरत स्थल की साख को भी नुकसान पहुंचा रही है।

बिलासा ताल की यह स्थिति केवल प्रशासन की उदासीनता का परिणाम है। यह स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हो सकता था, लेकिन रखरखाव की कमी ने इसे बदहाली में धकेल दिया है ।

बिलासा ताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है भ्रष्ट नौकरशाह के लीपापोती कार्यों की वजह से ताल अब आम लोगों के जाने के लायक नहीं रहा । एक समय परिवार सहित लोग मनोरंजन ,झूला एवं वोटिंग के लिए आया करते थे । वन विभाग के अधिकारीगण आज बजट का रोना रोकर नया प्रोजेक्ट बनाने में लगे हैं।

वहीं वन विभाग का बिलासा ताल वसुंधरा उद्यान आज बदहाल हो चुका है । यही कारण है कि यहां पर्यटक भी नहीं आना चाहते मेंटेनेंस के लिए वन विभाग के पास फंड नहीं है पर्यटन पर्यटक नहीं आने से गेट मनी भी नहीं मिल पा रहा है । यहां बनाए गए लकड़ी की ब्रिज – बोट सभी जर्जर होकर कंडम हो चुके हैं । लाइटिंग चोरों के हत्थे लग चुकी है । रखरखाव के अभाव में सुंदर सा बिलासा ताल खंडहर में तब्दील हो चुका है