सरकारी डॉक्टर्स केवल अपने घरों में प्रैक्टिस करेंगे।
निजी अस्पतालों में सेवा नहीं देंगे और अपने निजी क्लिनिक का संचालन भी नहीं कर पाएंगे।
सरकारी डॉक्टर्स अपनी ड्यूटी अवधि के बाद केवल अपने घरों और क्वाटर्स में मरीजों का इलाज करेंगे। राज्य शासन के नए आदेश से नाराज मेडिकल कॉलेज अस्पताल के 20 डॉक्टरों ने मंगलवार को डीन डॉ. पीएस लुका को सामूहिक इस्तीफा सौंपा दिया।
अब मरीजों का इलाज प्रभावित होगा। वहीं मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर खंडरा मंडरा रहा है।
पेंड्री में 10 साल पहले 2014 में 500 करोड़ रुपए की लागत से 500 बेड के मेडिकल कॉलेज अस्पताल का शुभारंभ किया गया था। यहां 29 विभाग संचालित हैं। लेकिन 10 सालों के बाद भी यहां सेटअप के अनुसार पर्याप्त डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं की जा सकी है।
पहले से डॉक्टर कम हैं और अभी 20 डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। जिसमें सीनियर, जूनियर, संविदा के अलावा नियमित डॉक्टर एवं मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉक्टर्स शामिल हैं। वेतन विसंगति में सुधार की मांग पर सालभर में यहां अलग-अलग विभाग जिसमें कैंसर, सर्जरी, ऑर्थो, आई, मेडिसिन, गॉयनिक, रेडियोलॉजी विभाग के करीब 20 विशेषज्ञों एवं अन्य डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ी है।
सरकारी अस्पतालों की हालत सुधारने शासन की पहल, अफसरों को जिम्मा शासन द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सरकारी डॉक्टर्स निजी अस्पतालों की ओपीडी, इलाज, सर्जरी या किसी विभाग में अपनी सेवा नहीं देंगे। आयुष्मान योजना में पंजीकृत निजी अस्पतालों को राज्य शासन को यह शपथ पत्र देना होगा कि उनके अस्पताल में सरकारी डॉक्टर्स नहीं है।
मॉनिटरिंग करने अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी है।सरकारी अस्पतालों का हाल सुधारने, डॉक्टरों की मौजूदगी रखने राज्य शासन ने आदेश जारी किया गया है। जिला अस्पताल का गायनिक विभाग सिर्फ एक सर्जन डॉ. तरुण कोठारी के भरोसे है। अन्य विभागों में डॉक्टरों की कमी है।
यहां मेडिसिन विभाग के डॉ. खुमान सिंह ने इस्तीफा सौंप दिया है।वैकल्पिक इंतजाम करने निर्देश मिले हैं: डॉ. देशकर मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. अतुल देशकर का कहना है 20 डॉक्टरों अल्टीमेटम दिया है। एक माह की नोटिस अवधि की प्रक्रिया होती है। उच्च विभाग से व्यवस्था बनाने और वैकल्पिक इंतजाम करने निर्देश मिले हैं।
कल उन डॉक्टरों की बैठक लेकर रास्ता निकाला जाएगा। वॉक इन इंटरव्यू लेकर सभी विभागों में नए डॉक्टरों की भर्ती की जाएगी।जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के अधिकांश डॉक्टर्स शहर के निजी अस्पतालों में सेवा दे रहे हैं। कुछ का खुद का अस्पताल खुल गया है।
इस कारण सरकारी अस्पतालों में उनकी मौजूदगी नहीं रहती और मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की, स्टाफ नर्सेज, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की सेटअप अनुसार आज तक भर्ती नहीं हो सकी। यहां सिटी स्कैन एवं एमआरआई की सुविधा नहीं है। अभी इस्तीफा सौंपने वाले 20 डॉक्टर्स सीधे मरीजों से जुड़े है और बाकी डॉक्टर्स मरीजों से सीधे कनेक्ट नहीं रहते हैं।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि इस मामले में सीएमओ और कलेक्टर सहित सभी उच्च अधिकारियों से बातचीत की गई है। अभी डॉक्टर ने इस्तीफा देने की मंशा जाहिर की है। उनसे बातचीत की जा रही है। उनकी जो छोटी-मोटी मांगें हैं जो तत्काल यहां पूरी हो सकती है उन्हें पूरा किया जाएगा।
पूर्व सीएम के क्षेत्र में ऐसा हाल: कुलबीर सिंह छाबड़ा शहर कांग्रेस अध्यक्ष कुलबीर सिंह छाबड़ा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ.रमन सिंह के निर्वाचन क्षेत्र में 20 डॉक्टरों का एक साथ मेडिकल कालेज में इस्तीफा हुआ है। कुछ दिन पूर्व और भी डॉक्टरों ने त्यागपत्र दिया है, जो कि चिंता का विषय है। आगे क्या होगा, मेडिकल कालेज का, स्पीकर अपने क्षेत्र में इतने लापरवाह हैं।
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