23-सितंबर,2020
बिलासपुर-{सवितर्क न्यूज़} साइबर एक्सपर्ट कलीम खान के नेतृत्व में पिछले दिनों साइबर मितान अभियान चलाया गया लेकिन विडंबना देखिए कि उन्ही के थाना क्षेत्र में लगातार साइबर अपराध घटित हो रहे हैं। बुधवार को जहां एक युवक मोबाइल खरीदने के फेर में ठगों का आसान शिकार बन गया तो वही उन्हीं के थाना क्षेत्र स्थित एक्सिस बैंक की खाता धारक ग्रामीण महिला भी साइबर अपराधियों का शिकार बन गयी। एक तरफ सरकार ऑनलाइन बैंक ट्रांजैक्शन को बढ़ावा दे रही है लेकिन इसी के चलते अब बैंक खाते सुरक्षित नहीं रह गए हैं ।खाताधारक को पता भी नहीं चलता और उसके खाते से रकम पार हो जाती है। सकरी क्षेत्र के संबलपुरी निवासी सीधी साधी ग्रामीण महिला जाम बाई के साथ भी ऐसा ही हुआ, जिनका पुराना बस स्टैंड के पास स्थित एक्सिस बैंक में बैंक खाता है। परिवार ने जमीन बेचकर उसकी रकम जाम भाई के खाते में 38 लाख रुपये जमा कराए थे। शुरुआती दिनों में उसमें से कुछ पैसे जरुर निकाले गए थे लेकिन पिछले 2 सालों से खाते में कोई ट्रांजैक्शन नहीं हुआ था, लेकिन इस बीच उनकी जानकारी के बगैर ही उनके खाते से 87,000 रु एटीएम के माध्यम से निकाल लिए गए । उनके खाते में 4 लाख रुपये से अधिक की रकम जमा थी। हालांकि बैंक ने उन्हें एटीएम जारी किया था लेकिन उनके द्वारा कभी भी एटीएम का उपयोग नहीं किया गया था। इससे पहले जब भी रकम निकाली गई चेक का प्रयोग किया गया । जब 21 सितंबर को जाम बाई खाते का बैलेंस चेक कराने पहुंची तो पता चला कि 13 अप्रैल 2020 से लेकर 16 सितंबर 2020 के बीच अलग-अलग तारीखों में एटीएम के जरिए उनके खाते से ₹87,000 निकाले गए थे । इतना ही नहीं उनके खाते से और भी कई भुगतान इस बीच हुए थे। जांच में यह भी पता चला कि बिना उनकी जानकारी के ही उनका रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर बदलकर कोई और नंबर खाते के साथ लिंक किया जा चुका है और उसके आधार पर नया एटीएम भी जारी किया गया है जो किसी अमित कुमार के नाम से है। जांच में यह भी पता चला कि जाम बाई की जानकारी के बगैर ही बैंक द्वारा तीन जीवन बीमा पॉलिसी खरीदी के लिए क्रमशः 1,80,000, 55,100 और 19,163 रुपए का भुगतान किया जा चुका है। इतना ही नहीं उन्हीं के खाते से रेड क्रॉस मेडिकल बिलासपुर, अहूजा मोबाइल बिलासपुर ,अपोलो बिलासपुर आईसीआईसीआई म्युचुअल फंड, श्यामा फ्यूल्स, आदित्य बिरला सन लाइफ इंश्योरेंस इक्विटी आदि का भुगतान किया गया है । जाहिर है बिना खाताधारक की जानकारी के उनका रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर बदल देना और नया नंबर जोड़ कर उसके आधार पर किसी को एटीएम जारी कर देना और खाते से लगातार भुगतान करना यह सब बैंक कर्मियों की मिलीभगत के बगैर संभव ही नहीं । चूंकि जाम बाई ने पिछले 2 साल से कोई ट्रांजैक्शन नहीं किया था इसका फायदा उठाकर कुछ शातिर लोगों ने उनके खाते में मौजूद लाखों रुपए पार कर दिए। और माल ए मुफ्त, दिल ए बेरहम की तर्ज पर उनके खाते की रकम दोनों हाथ से लुटाते रहे ,जिसकी शिकायत कोतवाली थाने में की गई है।
इससे पहले भी एचडीएफसी बैंक में ऐसा ही मामला सामने आया था, जिसमें भी बैंक कर्मियों की मिलीभगत ही उजागर हुई थी। पुलिस अगर सख्ती से जांच करें तो इस मामले में भी बैंक कर्मियों की संलिप्तता उजागर हो सकती है।
आम लोगों को लगता है कि बैंक में रखा पैसा सुरक्षित है, लेकिन अगर बैंक कर्मी ही इस तरह से अपराधियों से मिलीभगत कर ग्राहक के खाते पर डाका डालेंगे तो लोग बैंक पर किस तरह से भरोसा कर पाएंगे। बैंक ठगी के मामले तब तक नहीं रुक सकते जब तक इस तरह का कानून नहीं बन जाए कि बैंक में जमा रकम वाले खाते के साथ हुई किसी भी तरह की ठगी की सूरत में भुगतान बैंक करेगा ,तब तक बैंक ऐसे मामलों को लेकर गंभीर नहीं होगा। बैंक खाता संबंधी नियमों में बड़े परिवर्तन की आवश्यकता है तो वहीं अब भी निजी बैंक कर्मचारियों की इमानदारी संदिग्ध है । फिलहाल कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दिया है । हालांकि अभी तक इसके पीछे दोषी कौन है इसका पता नहीं चला है लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि इतना बड़ा घोटाला बिना बैंक कर्मियों को विश्वास में लिए बगैर करना संभव ही नहीं है।
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