दीपावली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर

राजेन्द्र देवांगन
6 Min Read

कंफ्यूजन दूर: छत्तीसगढ़ के ज्योतिषाचार्यों ने कहा- अधिकांश का मानना 31 को ही मनाना शुभ

दीपावली 31 अक्टूबर को है या 1 नवंबर को देश में ये कंफ्यूजन बरकरार है। मगर प्रदेश के कुछ धर्माचार्य और ज्योतिषाचार्य से बात करने पर इस सवाल का जवाब मिला है, अधिकांश ने माना है कि 31 को ही दीपावली मनाना शुभ होगा। किसने क्या कहा पढ़िए इस रिपोर्ट में।.दिवाली की तारीख को लेकर विवाद होने की वजह, अमावस्या तिथि का दो दिनों तक रहना है। साल 2024 में कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर की शाम से शुरू होकर 1 नवंबर की शाम तक है।

इस वजह से, सरकारी कैलेंडर में दीपावली 31 अक्टूबर को बताई गई है, जबकि कई ज्योतिषियों का कहना है कि दीपावली 1 नवंबर को मनाई जानी चाहिए। दिवाली की तारीख हर साल बदलती है, क्योंकि हिंदू कैलेंडर चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करता है। जानिए क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य:-दो तिथियों को लेकर दीपावली मनाने पर कंफ्यूजन है।छत्तीसगढ़ में दीवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इसी दिन महालक्ष्मी और महाकाली की पूजा भी होगी।

इसे लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति देखी जा रही थी। बोरियाकला शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी आचार्य डॉ. इंदुभवानंद ने बताया कि अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल और वृषभ लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा किया जाना शास्त्रसम्मत होता है।बोरियाकला शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी आचार्य डॉ. इंदुभवानंद ।31 अक्टूबर को दोपहर 2.45 मिनट से अमावस्या शुरू हो रही है, जो 1 नवंबर को शाम 4.46 बजे तक होगी। उस दिन सूर्यास्त 5.35 बजे होगा।

इसी के साथ 2 घंटे 24 मिनट का प्रदोष काल शुरू हो जाएगा। वृषभ लग्न शाम 6.30 से रात 8.29 बजे तक रहेगा। स्पष्ट है कि 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि में प्रदोष काल के दौरान वृषभ लग्न का योग बन रहा है, जो दीवाली के लिए आवश्यक माना गया है। इसलिए इसी दिन दीपावली मनाई जाएगी। डॉ. इंदुभवानंद, धर्माचार्यरायपुर में कई सालों से शुभ तिथियों पर रिसर्च करने वाले ज्योतिषाचार्य डॉ दत्तात्रेय होस्केरे ने बताया है कि 1 नवंबर को दीपावली मनाने का विशेष योग है।

उन्होंने बताया है कि शास्त्रों में वर्णन है की अगर उदयकालीन अमावस्या हो और सूर्यास्त के बाद एक घड़ी भी अमावस्या हो तो उसी दिन दीपावली पर्व मनाएं।1 तारीख को 6 बजे के बाद दीपावली मनाई जाए तो श्रेष्ठ होगा। शास्त्रों में यह भी उल्लेख है की जिस रात्रि अमावस्या हो और कोई संदेह हो तो उसके दूसरे दिन लक्ष्मी, कुबेर पूजा करना श्रेष्ठ होता है।गणित आधारित पंचांग का विश्लेषण करें तो अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 3.52 बजे शुरू हो रही है। 1 नवंबर को शाम 6.16 बजे तक है। इस दिन सूर्यास्त शाम 5.23 बजे का है।

सूर्य के अस्त के बाद 2 घड़ी से ज्यादा अमावस्या है। शास्त्रों में वर्णन है की अगर उदयकालीन अमावस्या हो और सूर्यास्त के बाद एक घड़ी भी अमावस्या हो तो उसी दिन दीपावली मनाएं। 1 तारीख को 6 बजे के बाद दीपावली मनाई जाए तो श्रेष्ठ होगा। डॉ दत्तात्रेय होस्केरे, ज्योतिषाचार्यकेरल, गुजरात, राजस्थान जैसे प्रदेशों के पंचांग में बताया गया कि 31 अक्टूबर को लगकर अमावस्या 1 नवंबर तक कुछ समय तक रहेगी।

धर्मशास्त्र की मार्यादा है कि प्रदोष काल में अमावस्या है तो दिवाली मनाई जाए। मेरे पास वाराणसी का पंचांग है उसे स्टडी करने से भ्रम दूर हो जाता है।अमावस्या 31 अक्टूबर को 3 बजकर 54 मिनट पर शुरू होती है। तब प्रदोष काल पड़ेगा। इसलिए 31 अक्टूबर दीपावली मनाना सही होगा। इसी समय लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। प्रिया शरण त्रिपाठी31 अक्टूबर ही सही तारीख तय प्रदेश के कई मंदिर-मठों में 31 की शाम ही दीपावली मनाने की बात तय हुई है।

आचार्य इंदुभवानंद ने बताया कि 31 को अमावस्या दोपहर 2.45 से लग रही है और कुंभ लग्न दोपहर 1.40 से 3.22 बजे तक है। इस दौरान लोगों को अपनी दुकानों, प्रतिष्ठानों और फैक्ट्रियों में लक्ष्मी पूजन करना शुभ होगा।दीपावली के दिन के महत्वपूर्ण समय – अमावस्या की शुरुआत : 31 की दोपहर- 2.45 से 1 नवंबर की शाम 4.46 तक। – सूर्यास्त : 5.35 बजे। – प्रदोष काल : शाम 5.35 बजे से रात 7.59 बजे तक।

– कुंभ लग्न (लक्ष्मी पूजन व्यापारियों के लिए): दोपहर 1.40 बजे से 3.22 तक। – वृषभ लग्न (लक्ष्मी पूजा): शाम 6.30 बजे से रात 8.29 बजे तक। – सिंह लग्न (महानिशा- महाकाली पूजा): रात 12.59 से रात 3.11 बजे तक।लक्ष्मी पूजन के लिए शास्त्रानुसार 31 अक्टूबर को ही ज्योतिर्मठ के सीईओ चंद्रप्रकाश उपाध्याय ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी पूजन केवल 31 अक्टूबर को ही करना चाहिए, क्योंकि इस दिन प्रदोष काल और स्थिर व्रष लग्न का संयोग है।

इस वर्ष धनतेरस का पूजन 29 अक्टूबर को किया जाएगा, जिसमें नए सामान लाने से धन में वृद्धि के संकेत प्राप्त होते हैं। इसके बाद 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी का व्रत मनाने की सलाह दी गई है।उपाध्याय ने आगे कहा, “1 नवंबर को अन्नकूट गोवर्धन पूजा नहीं होगी। यह पूजा 2 नवंबर को होगी, जबकि भाई दूज का पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा।”

Share This Article