छत्तीसगढ़ के बस्तर के नक्सल पीड़ितों का दर्द दिल्ली पहुंचने के बाद उन्हें राहत देने की तैयारी हो गई है। नक्सल हिंसा से पीड़ितों को जल्द ही केंद्र और राज्य सरकार मिलकर पेंशन देने जा रही है। ये लाभ उन्हें मिलेगा, जिन्होंने हिंसा में शरीर का कोई अंग गंव.पेंशन राज्य सरकार ही बांटेगी और केंद्र आर्थिक मदद देगा। पेंशन शुरू होने पर छत्तीसगढ़ पहला ऐसा राज्य बन जाएगा, जहां यह योजना शुरू होगा। दरअसल, अभी बस्तर से नक्सल हिंसा पीड़ितों का एक दल दिल्ली में है।
उन्हें शांति समिति के सदस्य लेकर गए हैं। समिति के जयराम दास ने बताया कि पीड़ितों के सामने परिवार चलाना बड़ी चुनौती है। यह बात सभी के सामने रखी है। दिल्ली से रायपुर तक राहत देने प्लानिंग चल रही है। उम्मीद है कि 2-3 महीनों में पीड़ितों के लिए सरकार कोई नई योजना लाएगी।पीड़ितों ने शाह से उनके निवास में मुलाकात के दौरान बताया था कि तंगी के चलते भूखे मरने की नौबत है। इसके बाद ही पेंशन योजना शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
इस संबंध में छत्तीसगढ़ सरकार से भी राय मांगी गई है। राज्य स्तर पर पहले ही सहमति जता दी गई है। पीड़ितों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें पेंशन मिलने की जानकारी दी गई है। इसकी आधिकारिक पुष्टि छत्तीसगढ़ के सीएम हाउस में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात के बाद होगी।अकेले बस्तर से ही 1000 लोग नक्सल हिंसा से पीड़ितबस्तर संभाग में ही एक हजार से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो नक्सल हिंसा से शरीर के अंग गंवा चुके हैं।
यदि सरकार पेंशन योजना शुरू करती है तो उन्हें फायदा मिलना तय है। इसके अलावा बस्तर में योजना शुरू होने पर इसे पूरे प्रदेश और देश के बाकी प्रदेशों में भी लागू किया जा सकता है। बता दें कि नक्सलियों के विरोध का एक नया चेहरा शांति समिति बनी है। समिति का गठन कैसे और कब हुआ इसकी जानकारी ज्यादा लोगों को नहीं है।
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