मरवाही में लाल बहादुर शास्त्री की तरह बच्चे नदी पार कर जाते हैं स्कूल, खतरे में नौनिहालों की जान …!
गौरेला पेंड्रा मरवाही:-शिक्षा इंसान की बुनियादी और आवश्यक जरुरत है,एक बेहतर शिक्षा से ही इंसान की दिशा और दशा तय होती है, कहते हैं पढेगा इंण्डिया तो बढेगा इंण्डिया पर बदहाली की हो ऐसी तस्वीरे तो कैसे बढ़ेगा इंण्डिया जी हां हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ के जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही के दूर आंचल आदिवासी क्षेत्र प्राथमिक शाला दुवारी टोला मडवाही में पढ़ने लिखने वाले आदिवासी नौनिहालों की,जहां के आदिवासी नौनिहाल अपने भविष्य को उज्जवल करने के लिये आज भी अपने जान जोखिम को डालकर उफनती हथगढी नदी के तेज बहाव के बीच चलकर शिक्षा के मंदिर तक का रास्ता तय करते हैं,जिसके कारण आदिवासी नौनिहालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है,तेज नदियो के बीच अपने बच्चों को स्कूल जाते देख पालको के मन में बच्चों की सुरक्षा को लेकर संकट मंडराते रहता है पहले भी इस नदी से लोग बह चुके है,ज्यादा पानी का बहाव होने से कभी कभी बच्चे हफ्तो तक स्कूल नहीं पहुंच पाते,नदी के पुल निर्माण को लेकर स्थानीय ग्रामीण एवं पालकों द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर विधायक एवं कलेक्टर से भी गुहार लगा चुके हैं,लिहाजा ग्रामीणो को हताशा और निराशा के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ है,यहां के पढ़ने लिखने बच्चों की हालत आज भी भगवान भरोसे है….
गौरतलब है कि सरकार करोड़ों रुपये की योजना बनाकर नौनिहालों के भविष्य गढ़ने के लिये शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का दावा करती है,पर इसकी जमीनी हकीकत तलाशें तो धरातल मे कोरी कल्पना ही नजर आती है….
अब देखने वाली बात यह होगी कि आदिवासी आंचल मरवाही क्षेत्र के मडवाही के हथगढी नदी को पार कर जान जोखिम उठाकर पढ़ने वाले छात्रों की बदहाली की तस्वीरें कब बदली है यह देखना सुनिश्चित होगा,