कोरबा। कोयला खदानों में डीजल, कबाड़ एवं कोयला चोरी का सिलसिला जारी
रहने से एसईसीएल कंपनी एक तरफ बड़ी चुनौती से जूझ रही है तो दूसरी तरफ सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर संगठित चोर गिरोह इस तरह की हरकतें क्या अपने स्तर पर कर रहा है या उसे किसी का वरदान प्राप्त है। चोर गिरोह की गतिविधियों से अब तक कई करोड़ का नुकसान एसईसीएल कंपनी को हो चुका है और उसके कई कर्मी हमले में घायल हो चुके हैं। इन सबसे अलग डीजल चोरी के मामले नहीं रुकने के दुष्परिणाम एसईसीएल को भारी नुकसान के रूप में झेलने पड़ रहे हैं। सभी तरह की चिंता के बावजूद यह काम कोरबा जिले में नहीं रुक पा रहा है यह सबसे बड़ा सवाल है।
हालांकि कोलफील्ड्स के लिए यह कोई नया मामला नहीं है लेकिन चिंताजनक तो है ही खबर है कि कोल इंडिया की दूसरी सहायक कंपनियों में भी इस तरह के मामलों की रफ्तार कहीं पर सामान्य है तो कहीं ज्यादा हर तरफ से संगठित चोर गिरोह अपने काम को अंजाम देने में लगे हुए हैं। इसके जरिए कोयला कंपनियों को अनावश्यक नुकसान हो रहा है। प्राकृतिक कारणों से और हड़ताल से होने वाले नुकसान की तुलना में यह अलग है। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानें 4 चित्र में संचालित हो रही हैं। यह खदानें कोरबा कुसमुंडा गेवरा और दीपका विस्तार क्षेत्र में मौजूद हैं। एसईसीएल के वार्षिक उत्पादन लक्ष्य 155 लाख टन की 50 फीसदी मात्रा की पूर्ति अकेले कोरबा जिले की खदानें करती हैं। यही वजह है कि कोयला कंपनी ने प्राथमिकता के रूप में इन क्षेत्रों में सभी तरह के संसाधन मांग के अनुरूप दे रखे हैं। अधिकांश संसाधनों का संचालन करने के लिए बड़ी मात्रा में डीजल की आवश्यकता होती है। कंपनी को भले ही ऐसे वाहन प्रोडक्टिविटी के मामले में सहयोग दे रहे हैं लेकिन सच्चाई यह भी है कि एसईसीएल द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले डीजल की बड़ी मात्रा हर महीने डीजल चोर गिरोह की हत्थे चढ़ रही है। कहा जाता है कि लाखों रुपए मूल्य का डीजल चोरों का संगठित गिरोह यहां से पार करने में जुटा हुआ है। इस मामले में बिलासपुर के शातिर शाहिद खान गिरोह की भूमिका का पता चला है। उसने अपने काम को अंजाम देने के लिए खदानों के आसपास के ही लोगों की सेवा इस काम में ले रखी है। कई पिकअप नियमित रूप से इस काम को संपादित करने में जुटी हैं। एसईसीएल की कुसमुंडा, गेवरा और दीपिका विस्तार खदान से डीजल की चोरी बेखोफ तरीके से की जा रही है। ऐसा कोई दिन नहीं जाता जबकि डीजल चोर गिरोह यहां तक ना पहुंचते। लगातार इस आशय की जानकारी पहुंचते रहती है कि चोर गिरोह कई गाडिय़ों में हथियार के साथ यहां पहुंचा करता है और शातिर तरीके से इन घटनाओं को अंजाम देने में सफल होता रहा है। एक जानकारी के मुताबिक प्रतिदिन 10 से 15 हजार लीटर डीजल पार किया जा रहा है। अनेक अवसरों पर एसईसीएल के सुरक्षा तंत्र के साथ-साथ कई कर्मचारियों पर उसके द्वारा हमले किए जा चुके हैं। घायलों की संख्या की जानकारी ना केवल प्रबंधन कोहै बल्कि पुलिस के रिकॉर्ड में भी है। आये दिन लगातार चोरी की घटनाओं से कर्मचारियों का मनोबल गिर रहा है और चोर गिरोह इसी का फायदा लेकर घटनाओं को बिना किसी भय के अंजाम दे रहा हैं। एसईसीएल प्रबंधन को अकेले डीजल चोरी से ही हर महीने लाखों रुपए की चपत केवल एक क्षेत्र से लग रहे हैं। कोरबा जिले में यह आंकड़ा करोड़ों में पहुंच रहा है जबकि अन्य क्षेत्रों में डीजल चोरी के मामले ना के बराबर है।
सुरक्षा के काम में खर्चे ज्यादा, नतीजे शून्य
यह क्षेत्र में डीजल चोरी और अन्य अपराधों को रोकने के लिए एसईसीएल ने विशेष रुप से सीआईएसफ, होमगार्ड, विभागीय सुरक्षा के अलावा निजी सुरक्षा एजेंसियों को तैनात कर रखा है इसके बावजूद अपराध नियंत्रण का काम परिणामकारी साबित नहीं हो सका है। बताया जाता है कि सीआईएसएफ को गेवरा, दीपका में कुछ वेब्रिज, 1, 2, 3, 4 नंबर बेरियर और रिजनल स्टोर की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि डीप माइनिंग में सुरक्षा का काम देखने के लिए होमगाड्र्स, विभागीय सुरक्षा और जैमको सहित अन्य निजी सुरक्षा एजेंसियों को दायित्व दिये गए हैं। इन सब पर प्रतिमाह लाखों रुपए वेतन और अन्य सुविधाओं के मामले में खर्च किये जा रहे हैं। इन सबके बावजूद डीजल चोर और अन्य तरह के मामलों में लिप्त आरोपियों के आगे सुरक्षा तंत्र नाकाम बना हुआ है।
चोरी का डीजल का बढ़ा उपयोग, नुकसान में कंपनियां
कोयला खदानों से चोरी होने वाले डीजल के चक्कर में एसईसीएल को नुकसान हो है। इसकी बड़ी कीमत कीमत चुकानी पड़ रही है। बताया जाता है कि खदान से पार किए जाने वाले डीजल को मार्केट रेट से कम मूल्य पर ट्रांसपोर्ट और अन्य उपयोगकर्ताओं को खपाने का काम चोर गिरोह कर रहा है इसमें भी उसे सीधा सीधा लाभ प्राप्त हो रहा है। चोर गिरोह ने खदानों से चोरी किए जाने वाले डीजल को खपाने के लिए ऐसे क्षेत्रों और पार्टियों को चुन रखा है। इसी प्रकार कोयला खदानों से प्रतिदिन कबाड़ व कोयला भी बड़ी मात्रा में संगठित गिरोह द्वारा पार किया जा रहा है। एसईसीएल का सुरक्षा विभाग पुलिस प्रशासन इसे रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। सूत्रों ने बताया कि इसमें सीआईएसएफ के कुछ जवानों की भूमिका भी संदिग्ध है जिनके द्वारा मिलीभगत कर चोरी की घटनाओं को बेरोक-टोक अंजाम दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय हितों पर कुठाराघात
देश को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अपने स्तर पर जीत और प्रयास कर रही है। कोरोना की परिस्थितियों से टक्कर लेने के बावजूद अब सभी चीजों को बेहतर करने का काम या जा रहा है। ऐसे में ईंधन व्यवसाय पर छत्तीसगढ़ में जिस तरह से करारी चोट डीजल चोर गिरोह कर रहा है। उससे कुल मिलाकर राष्ट्र का ही नुकसान हो रहा है।
अवैध रास्ते बने हैं खदानों में, इनका हो रहा उपयोग
कोयला खदानों में सुरक्षा के काम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि अवैध कार्यों में लगे लोगों ने भीतरी हिस्से तक पहुंचने के लिए अवैध रास्ते बना रखे हैं। ग्रामीण लोगों का सहयोग इस काम में मिल रहा है। भौगोलिक संरचना की जानकारी ग्रामीणों को भलीभांति है इसलिए इसका बड़ा फायदा चोर गिरोह उठा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि अनेक स्थानों पर प्रदर्शनकर्ताओं को रोकने के लिए सड़क और कई क्षेत्रों को खोदने का काम किया जाता है। पशुओं की पहुंच जंगल में रोकने के लिए ऐसे प्रयोग किये जाते हैं। कुछ यही काम चोरों को रोकने के लिए खदानों में होना चाहिए।
आखिर किसका संरक्षण
कोयला खदानों में डीजल, कबाड़ व कोयला चोरी की घटनाओं की बढ़ोतरी को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं बल्कि दावे भी किए जा रहे हैं कि पूरा काम संरक्षण में हो रहा है। इसके लिए कानून व्यवस्था से जुड़े लोगों को खुश रखने की दिशा में विशेष काम चोर गिरोह के द्वारा किया जा रहा है अन्यथा ऐसी कोई वजह नहीं हो सकती कि नियमित रूप से गिरोह के लोग खदानों में बेधड़क घुसने के साथ अपने काम को संपन्न कर सके और भाग निकले।
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