हसदेव को बचाने शहर के लोगों ने निकाली रैली कलेक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
हसदेव के जंगलों को बचाने शहर के हजारों नागरिकों ने स्वस्फूर्त रैली निकाली। सभी नागरिक लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में दोपहर 3 बजे एकत्र हुए और रैली के रूप में कलेक्टोरेट पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इसमें बिलासपुर के नागरिकों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से हसदेव अरण्य के क्षेत्र में कोल ब्लाकों को दी गई अनुमति निरस्त करने की मांग की।
हसदेव अरण्य जंगलों में कोयला खनन के खिलाफ 2012 से एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने 31 मई को जंगल की कटाई के विरोध में निकाली को रैली को सही ठहराया। उन्होंने कहा कि जहां तक राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के कोयले की आवश्कता का प्रश्न है, उसे मध्यप्रदेश में सोहागपुर कोलफील्ड में स्थित कोल ब्लॉकों में से कोयला लेना चाहिए। ऐसा करने से उसे कोल परिवहन की लागत में 300 से 400 रुपए प्रति टन की बचत होगी। उन्होंने बताया कि देश में घने जंगलों के बाहर पर्याप्त कोयला उपलब्ध है। अतः हसदेव जैसे घने जंगल जो हाथियों का रहवास और बागों बांध का जल ग्रहण क्षेत्र है उसे उजाड़ना पूरी तरह अनावश्यक है। श्री श्रीवास्तव ने भारत सरकार के आंकड़ों के आधार पर बताया कि देश में कोयले का कुल ज्ञात भण्डार 3.20 लाख मिलियन टन है। देश की वर्तमान कोयला मांग 1000 मिलियन टन वार्षिक है। देश की 2050 में कोयला मांग 2000 मिलियन टन वार्षिक एवं देश को 2070 तक की कोयला मांग 1.00 लाख मिलियन टन है। अर्थात भारत घने जंगलों के नीचें स्थित कोयला भण्डार को खनन किए बगैर अपनी वर्तमान और भविष्य की सभी आवश्यकता पूरा कर सकता है। 2050 के बाद पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के कारण कोयले की मांग घटती जाएगी। लालबहादुर शास्त्री स्कूल में एकजुट हुए और शहर के बीच से रैली निकालकर कलेक्टोरेट पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया कि यह लड़ाई सिर्फ हसदेव क्षेत्र के निवासियों की नहीं है बल्कि बिलासपुर और छत्तीसगढ़ के सभी नागरिकों की है। यदि हसदेव के जंगल उजाड़े जाएंगे तो बिलासपुर, कटघोरा, कोरबा, जांजगीर-चांपा का बड़ा क्षेत्र प्रभावित होगा। इस क्षेत्र का भूजल स्तर रसातल में चला जाएगा। शहरी क्षेत्र में नागरिकों के लिए पेयजल आपूर्ति समाप्त हो जाएगी। मानसून का चक्र बिगड़ जाएगा। लाखों हेक्टेयर खेती प्रभावित होगी। बिलासपुर के लोगों ने अब यह समझ लिया है और हसदेव के जंगलों को बचाने के लिए सभी नागरिक एकजुट हो गए हैं।