रायपुर महिला थाना एक बार फिर विवादों में है। 2024 में सामने आए कई मामलों में FIR दर्ज करने और कार्रवाई में कथित गड़बड़ी के आरोप अब तूल पकड़ रहे हैं। हाल ही में एक महिला प्रार्थी ने इसी गड़बड़ी से परेशान होकर आत्महत्या का प्रयास किया, जिसके बाद अन्य पीड़िताएं भी सामने आईं और खुलकर अपनी बात रखी।
पीड़िताओं का आरोप है कि:
महिला थाना आने पर उनकी शिकायतों को दबाया जाता है। विपक्षी पक्ष से कथित “लेन-देन” कर पीड़िताओं को डराया-धमकाया जाता है। काउंसलिंग के नाम पर मानसिक दबाव बनाया जाता है।
कई मामलों में FIR अधूरी दर्ज की जाती है, जैसे – एक पीड़िता ने बताया कि उसके आवेदन पर सिर्फ पति पर FIR दर्ज की गई, जबकि ससुराल पक्ष को बचा लिया गया।
FIR में गड़बड़ी से बढ़ा विवाद,
बार-बार थाने बुलाकर परेशान किया गया और गवाही के बाद भी उसे रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया गया। महिला थाने ने कोर्ट में सिर्फ पति का चालान पेश किया, ससुराल वालों को बचाया।
पीड़िताओं ने की बड़ी मांग
इन घटनाओं से नाराज सभी पीड़िताओं ने 2024 में कार्यरत महिला थाना प्रभारी मंजुलता राठौर और एडिशनल एसपी ममता देवांगन को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने की मांग की है। साथ ही जी. ज्योति सिंह और ए.आर. साहू पर भी केस में हेरफेर और पीड़िताओं पर दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए उन्हें भी पद से हटाने की गुहार लगाई है।
क्या कहती है शासन-प्रशासन?
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। पीड़िताएं अब मुख्यमंत्री और गृह विभाग से न्याय की मांग कर रही हैं। वे चाहती हैं कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।