छत्तीसगढ़ राज्य में निजी विश्वविद्यालयों द्वारा पेशेवर पाठ्यक्रमों की फीस को लेकर गड़बड़ी सामने आई है। पहले भी इस प्रकार की गड़बड़ी हो चुकी है। रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय पर आरोप है कि वह B. Pharmacy कोर्स के लिए नियामक समिति द्वारा निर्धारित फीस से कहीं अधिक रकम छात्रों से वसूल किया जा रहा है। जबकि स्पष्ट निर्देश हैं कि सभी प्रोफेशनल कोर्स की फीस प्रवेश तथा शुल्क विनियामक समिति द्वारा तय की जानी चाहिए।
प्रदेश के ज्यादातर निजी कॉलेजों में B. Pharma कोर्स की सालाना फीस करीब 67,600 से 80,000 रुपये के बीच है, जबकि रावतपुरा यूनिवर्सिटी इसी कोर्स के लिए 1.2 लाख रुपये प्रति वर्ष वसूल कर रही है। यह अंतर लगभग 40,000 रुपये का है, जिसने शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल भी सवालों के घेरे में हैं।
किसने तय की ये फीस?
शिक्षा व्यवस्था में फीस नियंत्रण के लिए वर्ष 2008 में ‘प्रवेश तथा शुल्क विनियामक समिति’ का गठन किया गया था। यह समिति पूरे राज्य में चल रहे B.Ed, D.El.Ed, B.Tech, MBA, pharmacy जैसे कोर्स की फीस तय करती है और राज्य सरकार उसी के अनुसार छात्रवृत्ति का निर्धारण भी करती है।
लेकिन रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी की फीस छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने तय की थी, जिसे लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, आयोग को वर्ष 2008 के बाद प्रोफेशनल कोर्स की फीस तय करने का अधिकार नहीं है, फिर भी 2024-25 सत्र के लिए उसने रावतपुरा यूनिवर्सिटी की फीस निर्धारित कर दी।
क्या कहता है आयोग?
निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. वीके गोयल ने बताया कि, “पुराने कानूनों में निजी विश्वविद्यालयों की फीस तय करने का अधिकार आयोग को दिया गया था। लेकिन अब स्पष्ट निर्देश दिए जा रहे हैं कि प्रोफेशनल कोर्स की फीस केवल प्रवेश तथा शुल्क विनियामक समिति ही तय करेगी। भविष्य में हम इस कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।”
विनियामक समिति ने क्या तय किया है?
समिति द्वारा 2024-27 तक के लिए बी फार्मेसी की फीस तय कर दी गई है। यह फीस कॉलेज की श्रेणी के आधार पर अलग-अलग है:
प्रति सेमेस्टर ₹33,800 से ₹39,700 तक
वार्षिक फीस लगभग ₹67,600 से ₹79,400 तक
किसी भी कॉलेज की सालाना फीस ₹80,000 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
विश्वविद्यालयों को भेजे गए निर्देश
प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालयों को पत्र जारी कर निर्देशित किया गया है कि वे प्रोफेशनल कोर्स की फीस केवल प्रवेश तथा शुल्क विनियामक समिति से ही तय कराएं, अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। फार्मेसी भी प्रोफेशनल कोर्स के तहत आता है जिसका फीस तय करना विनियामक समिति के अंतर्गत है साथ ही इसमें स्टेट फार्मेसी काउंसिल का भी सहमति मान्य हो सकता है।
यह मामला दर्शाता है कि किस तरह कुछ निजी संस्थान विनियामक व्यवस्था को दरकिनार कर छात्रों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं। शासन के स्तर पर अब सख्ती से इन पर नजर रखी जा रही है।
सभी फार्मासिस्ट ने रावतपुरा यूनिवर्सिटी और विनियामक समिति से फिस कम करने की मांग किया है बड़ी हुई फीस से उनके घर की अर्थ व्यवस्था पर भी भारी प्रभाव पड़ेगा जिससे कुछ अच्छे प्रभावशाली स्टूडेंट पढ़ाई से वंचित हो सकते हैं।