छत्तीसगढ़ में हर 3 घंटे में महिला से रेप, रायपुर में सबसे ज्यादा क्रईम देखें पूरी लिस्ट

राजेन्द्र देवांगन
4 Min Read

रायपुर, छत्तीसगढ़ में अपराध का ग्राफ लगातार चढ़ता जा रहा है। ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि राज्य में हर तीन घंटे में एक महिला बलात्कार का शिकार हो रही है। राजधानी रायपुर, इस भयावह आंकड़े में सबसे ऊपर है, जहां 2024 में 247 और 2025 में अब तक 21 मामले, कुल 268 रेप केस दर्ज किए गए हैं।

छत्तीसगढ़ में हर 3 घंटे में महिला से रेप

गृह विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में वर्ष 2024 और 2025 (अब तक) को मिलाकर 3191 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं महिलाओं के साथ मार पीट दहेज़ जैसे मामले भी दर्ज किए गए हैं। इनमें रायपुर, भिलाई, बिलासपुर, कोरबा, सरगुजा और बलरामपुर सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं।

🔴 शीर्ष 5 जिले – बलात्कार के सबसे ज्यादा मामले

रैंक जिला 2024 2025 कुल

1 रायपुर 247 21 268
2 बिलासपुर 244 13 257
3 कोरबा 192 10 202
4 सरगुजा 174 15 189
5 बलरामपुर 163 7 170

❗ चौंकाने वाली सच्चाई: हर दिन 8 से 9 महिलाएं हो रहीं शिकार

3191 मामलों का औसत निकाला जाए तो हर दिन लगभग 8 से 9 बलात्कार की घटनाएं दर्ज की जा रही हैं, वही दुर्ग भिलाई रायपुर बिलासपुर जैसे बड़े शहरों में दहेज़ लोभियों के केस भी सामने आया हैं। यानी हर 3 घंटे में एक रेप केस। यह आँकड़ा न सिर्फ चिंताजनक है, बल्कि प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।

🛑 रायपुर: हर अपराध में सबसे ऊपर

प्रदेश की राजधानी रायपुर, केवल बलात्कार ही नहीं, दहेज़, मार पीट, बल्कि हत्या, लूट, अपहरण और चोरी जैसे अपराधों में भी सबसे आगे है। पिछले एक साल के भीतर रायपुर में दर्ज किए गए प्रमुख अपराधों के आंकड़े इस प्रकार हैं:

हत्या: 93 मामले

लूट: 80 मामले

अपहरण: 515 मामले

चोरी: 1645 मामले

डकैती: 9 मामले

बलात्कार: 268 मामले

एक ओर प्रदेश में अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है, वहीं राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि अब छत्तीसगढ़ में सातों दिन और 24 घंटे दुकानें खुली रहेंगी। इस निर्णय के बाद सुरक्षा व्यवस्था को लेकर और ज्यादा सतर्कता बरतने की आवश्यकता होगी। सरकार को इन अपराधों के खिलाफ गंभीर रूप से कार्यवाही करते हुए पुलिस प्रशासन की व्यवस्था को कड़ाई करने की आवश्यकता है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

बीते कुछ समय में सरकार ने कहा था बेटियों को आगे बढ़ाना है इसलिए बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा भी दिया था पर आज बबेटी और बहुएं अपने ही घर में सुरक्षित महसूस नहीं करती है घर से बाहर निकलने में भी डरती है ऐसे में सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है साथ ही कानून व्यवस्था में ढील का नतीजा है कि आरोपियों को खुले आम घूमने की आजादी मिली है जिससे अपराध चरम सीमा पर है।

विशेषज्ञों की राय


विशेषज्ञों का मानना है कि अपराधों में बढ़ोतरी का कारण सामाजिक जागरूकता की कमी, कानून का डर खत्म होना, नशीली पदार्थ के रोक में कमी और पीड़ितों को समय पर न्याय न मिलना हो सकता है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह त्वरित न्याय प्रक्रिया, पुलिस की जवाबदेही, और जन-जागरूकता जैसे मोर्चों पर तुरंत कार्रवाई करे।

निष्कर्ष:

छत्तीसगढ़ में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराध केवल आंकड़े नहीं, बल्कि सामाजिक विफलता का संकेत हैं। अब समय आ गया है कि प्रशासन, समाज और सरकार मिलकर इस पर सख्त कदम उठाएं, वरना हर तीन घंटे में होने वाला ये घिनौना अपराध एक सामान्य घटना बन जाएगा। पीड़िता न्याय का गुहार लगाए महज घूमते रह जाएगी।

Share This Article