कोंडागांव, 27 अप्रैल 2025: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में सखी वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक पर एक युवती और एक नाबालिग लड़की ने गंभीर आरोप लगाए हैं। शिकायत में अभद्र भाषा, मानसिक प्रताड़ना, एक लाख रुपये की मांग, और नाबालिग को आरोपी के साथ भेजने जैसे गंभीर मामले शामिल हैं। जिला कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना और महिला एवं बाल विकास विभाग ने मामले की निष्पक्ष जांच के आदेश दिए हैं।
आरोपों का विवरण
18 मार्च 2025 को सखी सेंटर में काउंसलिंग के लिए बुलाई गई युवती ने निम्नलिखित आरोप लगाए:
- अभद्र व्यवहार: उसे डेढ़ घंटे तक एक कमरे में बंद रखा गया। काउंसलिंग के दौरान अभद्र भाषा में बात की गई और दबाव में एक पत्र पर हस्ताक्षर करवाए गए।
- मानसिक प्रताड़ना: युवती को बार-बार बुलाकर घंटों बिठाया गया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। अभिभावकों को “कार्यवाही चल रही है” कहकर रोका गया।
- रिश्वत की मांग: केंद्र प्रशासक और एक महिला कर्मचारी ने कथित तौर पर मामले को निपटाने के लिए एक लाख रुपये की मांग की। राशि देने से इनकार करने पर जेल भेजने की धमकी दी गई।
- नाबालिग के साथ लापरवाही: एक नाबालिग लड़की को आरोपी युवक के साथ भेजने का आरोप, जो कानूनन गंभीर अपराध माना जा रहा है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
- महिला एवं बाल विकास विभाग: जिला कार्यक्रम अधिकारी अवनी बिस्वाल ने कहा कि शिकायतों की निष्पक्ष जांच होगी। नाबालिग को आरोपी के साथ भेजा जाना गंभीर लापरवाही है, और दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
- कलेक्टर का बयान: कोंडागांव कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना ने मामले को संज्ञान में लिया है और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
- कानूनी राय: कानूनविदों का कहना है कि सखी वन स्टॉप सेंटर का प्राथमिक उद्देश्य पीड़ित महिलाओं और नाबालिगों की सुरक्षा है। नाबालिग को आरोपी के साथ भेजना गंभीर अपराध है, जो POCSO अधिनियम और अन्य कानूनों के तहत दंडनीय है।
पृष्ठभूमि और संदर्भ
- सखी वन स्टॉप सेंटर: यह केंद्र महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की योजना के तहत संचालित होता है, जो हिंसा पीड़ित महिलाओं को कानूनी, चिकित्सीय, और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करता है। कोंडागांव में यह केंद्र 2017 से कार्यरत है।
- पिछले विवाद: सखी वन स्टॉप सेंटरों में अनियमितताओं के मामले पहले भी सामने आए हैं। उदाहरण के लिए, पलामू (झारखंड) में 20 अप्रैल 2025 को एक दिव्यांग लड़की के साथ दुर्व्यवहार और मानसिक प्रताड़ना का मामला सामने आया था, जिसमें केंद्र प्रशासक पर आरोप लगे थे।
- कानूनी प्रावधान: नाबालिग को खतरे में डालना POCSO अधिनियम की धारा 3, 4, और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 (आपराधिक धमकी) और 384 (उगाही) के तहत अपराध है। रिश्वत मांगना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दंडनीय है।
जांच की दिशा
- जिला प्रशासन ने एक जांच समिति गठित की है, जो केंद्र प्रशासक और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ आरोपों की पड़ताल करेगी।
- CCTV फुटेज, दस्तावेज, और गवाहों के बयानों की जांच की जाएगी।
- नाबालिग के मामले में बाल कल्याण समिति (CWC) को भी शामिल किया गया है ताकि उसकी सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित हो।
प्रभाव
- सकारात्मक: शिकायत के बाद जिला प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया से पीड़ितों में न्याय की उम्मीद जगी है। यह सखी वन स्टॉप सेंटरों की कार्यप्रणाली में सुधार का अवसर हो सकता है।
- चिंताएं: इस तरह के आरोप सखी वन स्टॉप सेंटर की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं, जो हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान माना जाता है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि केंद्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।
- आगे की राह: नियमित निरीक्षण, कर्मचारियों की ट्रेनिंग, और शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है। कोंडागांव में पहले भी प्रशासन ने सड़क सुरक्षा जैसे मामलों में सख्ती दिखाई है, और इस मामले में भी प्रभावी कार्रवाई की उम्मीद है।
यह मामला कोंडागांव में सखी वन स्टॉप सेंटर की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है। जिला प्रशासन की जांच से सच सामने आने और दोषियों पर कार्रवाई की उम्मीद है।