Bilaspur High Court: सड़कों पर पंडाल लगाने को लेकर हाईकोर्ट की सख्ती, मुख्य सचिव और निगम कमिश्नर से मांगा जवाब

राजेन्द्र देवांगन
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर (Raipur) में त्योहारों के दौरान सड़कों और उनके किनारों पर बेतरतीब तरीके से लगाए जा रहे पंडाल और स्वागत द्वारों को लेकर जनहित याचिका दायर होने के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की युगलपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव और रायपुर नगर निगम के आयुक्त से इस संबंध में शपथ पत्र मांगा है।

सड़कों पर पंडाल लगाने को लेकर हाईकोर्ट की सख्ती,

सरकार का पूर्व आदेश भी हो रहा नजरअंदाज
22 अप्रैल 2022 को छत्तीसगढ़ शासन के गृह विभाग ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को स्पष्ट निर्देश जारी किए थे कि किसी भी प्रकार के धार्मिक, राजनीतिक या सामाजिक आयोजन सार्वजनिक स्थानों पर बिना अनुमति आयोजित नहीं किए जा सकते।

इसके बावजूद राजधानी रायपुर में आदेशों की अनदेखी कर सैकड़ों पंडाल हर साल सड़कों पर लगा दिए जाते हैं।

याचिकाकर्ता के अनुसार सड़कें बनी अस्थायी आयोजन स्थल

इस याचिका को दायर करने वाले नितिन सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि 2022 से 2024 तक नगर निगम या प्रशासन की ओर से किसी भी पंडाल के लिए अनुमति नहीं दी गई, फिर भी हर साल सैकड़ों पंडाल और स्वागत द्वार सड़कों पर नजर आए।

उन्होंने इस बात के प्रमाणस्वरूप कोर्ट को 100 से ज्यादा फोटो भी प्रस्तुत किए।

बढ़ता ट्रैफिक, घटती सड़कें

सिंघवी ने कहा कि जब छत्तीसगढ़ राज्य बना था, तब यहां एक लाख से कम वाहन थे, लेकिन अब यह संख्या 80 लाख तक पहुंच चुकी है। राजधानी की सड़कों को चौड़ा करने का काम धीमा है और पार्किंग की कमी के कारण वाहन सड़कों पर ही खड़े किए जाते हैं। ऐसे में पंडालों की मौजूदगी यातायात व्यवस्था को और बिगाड़ रही है।

पंडालों को मैदानों में शिफ्ट करने का सुझाव

याचिकाकर्ता ने सुझाव दिया कि धार्मिक या सामाजिक आयोजनों के लिए केवल निर्धारित सार्वजनिक मैदानों या खुले स्थलों पर ही पंडाल लगाने की अनुमति दी जाए, जिससे ट्रैफिक बाधित न हो और आम नागरिकों को परेशानी से बचाया जा सके।

कोर्ट की सख्ती और अगली सुनवाई की तारीख

कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यदि सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण हो रहा है और ट्रैफिक बाधित हो रहा है, तो यह गंभीर चिंता का विषय है। कोर्ट ने मुख्य सचिव और नगर निगम कमिश्नर से 16 जून 2025 तक शपथ पत्र के माध्यम से अपना पक्ष रखने को कहा है।

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