इंदौर। मध्य प्रदेश की राजनीतिक फिज़ा में इन दिनों हलचल तेज़ है। शनिवार रात पानी टैंकर विवाद से शुरू हुई घटना अब एक बड़े राजनीतिक टकराव में तब्दील हो चुकी है। नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे की गिरफ्तारी ने इंदौर की राजनीति को गर्मा दिया है, और यह सवाल अब चर्चा में है कि क्या यह महज एक कानून-व्यवस्था की कार्रवाई थी या इसके पीछे सत्ता का राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन?
घटना से सियासत तक: कैसे एक टैंकर बना विवाद की जड़
शहर के एक वार्ड में पानी टैंकर को लेकर हुए विवाद में बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए। स्थिति इतनी बिगड़ी कि एक बीजेपी कार्यकर्ता घायल हो गया और नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे पर गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कर दी गई। इसके बाद जैसे ही चौकसे को गिरफ्तार किया गया, कांग्रेस ने इसे सीधे सत्ता का दमन करार दे दिया।
कानून या राजनीति? गिरफ्तारी पर उठे सवाल
पुलिस ने चौकसे पर आईपीसी की धारा 307 यानी हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया है, जबकि चौकसे का दावा है कि यह सिर्फ एक ‘मामूली विवाद’ था और उन्हें जबरन फंसाया गया है। उन्होंने इसे भाजपा सरकार का ‘जंगलराज’ और विपक्ष की आवाज दबाने की साजिश बताया।
यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या कोई राजनीतिक द्वेष इस कार्रवाई की वजह बना? क्या प्रशासन ने किसी दबाव में कार्रवाई की? या फिर यह एक ज़रूरी और सही कानूनी कदम था?
कांग्रेस का आक्रोश, बीजेपी की चुप्पी
गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हीरा नगर थाने के बाहर प्रदर्शन किया। नारेबाजी, समर्थन और चौकसे की रिहाई की मांगों से माहौल गर्म हो गया। कांग्रेस नेताओं ने इसे साफ तौर पर राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया।
दूसरी ओर, बीजेपी की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई, जिससे अटकलें और तेज़ हो गईं कि क्या यह पूरी कार्रवाई एक सुनियोजित राजनीतिक योजना का हिस्सा थी?
अंत में सवाल यही – क्या ये विवाद पानी का था या सियासत का बहाना?
घटना चाहे जैसी भी रही हो, लेकिन इसने इंदौर की राजनीति में उबाल ला दिया है। अब यह प्रशासन पर निर्भर है कि वह निष्पक्ष जांच कर सच्चाई सामने लाए और जनता के भरोसे को कायम रखे। वरना विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर लगातार सत्ताधारी दल पर निशाना साधता रहेगा।