पीडब्ल्यूडी की जांच कमेटी ने 8 इंजीनियरों को दोषी पाया था
02-Sep,2020
बिलासपुर-(सवितर्क न्यूज़) गौरवपथ के घटिया निर्माण के मामले में आयुक्त नगर निगम ने चार इंजीनियरों को दोषमुक्त करने का आदेश जारी कर दिया है। मंगला नाका से महाराणा प्रताप चौक तक 12.59 करोड़ की लागत वाले गौरवपथ के निर्माण में भ्रष्टाचार के चलते जब सड़कें बार बार धंसने लगी तो अक्टूबर 2011 में हाईकोर्ट ने इसकी जांच के निर्देश दिए। हाईकोर्ट के आदेश पर तत्कालीन आयुक्त रानु साहू ने साल 2016 में अधीक्षण अभियंता भागीरथ वर्मा, मिथिलेश अवस्थी डिप्टी कमिश्नर, मनोरंजन सरकार कार्यपालन अभिंयता, सहायक अभियंता अनुपम तिवारी एवं हृदयराम बघेल को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा। जांच कमेटी ने जिम्मेदारों को क्लीन चिट दे दी। हाईकोर्ट ने कमेटी की रिपोर्ट को नकारते हुए पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव, इंजीनियर इन चीफ एवं चीफ इंजीनियर को गौरवपथ की जांच के आदेश दिए थे। पीडब्ल्यूडी की जांच रिपोर्ट में 8 इंजीनियरों पीके पंचायती, यूजीन तिर्की, राजकुमार साहू, एमपी गोस्वामी, गोपाल सिंह ठाकुर, सुरेश शर्मा, एमएस उज्जैनी एवं ललित त्रिवेदी को दोषी पाया गया। उनके खिलाफ कार्रवाई के आदेश हुए, लेकिन अधिकारी उन्हें बचाते रहे। 8 वर्षों में लगातार जांच पर जांच होती रही, अधिकारी बदलते रहे पर जांच को मुकाम हासिल नहीं हुआ। राज्य में सत्ता बदलते साथ तत्कालीन जांच अधिकारी चीफ इंजीनियर एसके जैन को हटा दिया गया। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग की संचालक अलरमेलमंगई डी. ने संचालनालय में पदस्थ चीफ इंजीनियर यूके धलेंद्र को जांच का जिम्मा सौंपा। धलेंद्र के नेतृत्व वाली जांच कमेटी ने मार्च में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपते हुए सभी आरोपी इंजीनियरों को दोषमुक्त कर दिया।
एमआईसी से स्वीकृति बाद आदेश जारी
संचालनालय के इंजीनियरों की जांच रिपोर्ट में गौरवपथ के निर्माण में अनियमितता के लिए ठेकेदार और कंसल्टेंट को जिम्मेदार ठहराया गया। जांच रिपोर्ट मेयर इन कौंसिल की बैठक से पारित होने के बाद आज इस आशय के आदेश मैंने जारी किए। जिन इंजीनियरों को प्रकरण में दोषमुक्त किया गया है, उनमें पीके पंचायती, यूजिन तिर्की, गोपाल ठाकुर एवं सुरेश शर्मा शामिल हैं।
-प्रभाकर पांडेय, कमिश्नर नगर निगम।
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