बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों की बौखलाहट साफ नजर आ रही है। रविवार सुबह से मद्देड़ थाना क्षेत्र के घने जंगलों में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ जारी है। ताजा जानकारी के अनुसार, अब तक तीन नक्सली मारे जा चुके हैं, हालांकि उनकी संख्या बढ़ सकती है। सुरक्षा बलों का ऑपरेशन अभी भी जारी है।
घटनाक्रम:
बीजापुर के मद्देड़ थाना क्षेत्र के बंदे पारा और कोरंजेड नेशनल पार्क इलाके में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पर पुलिस और सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम को रवाना किया गया था। सुबह घने जंगलों में तलाशी अभियान के दौरान नक्सलियों ने सुरक्षाबलों को देखते ही फायरिंग शुरू कर दी, जिसके जवाब में पुलिस ने भी कार्रवाई की।
रुक-रुककर जारी है मुठभेड़:
सूत्रों के मुताबिक, मुठभेड़ में कई नक्सलियों के मारे जाने की संभावना है, हालांकि पुलिस की ओर से अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। एएसपी मयंक गुर्जर ने बताया कि ऑपरेशन के बारे में विस्तृत जानकारी सुरक्षा बलों की टीम के लौटने के बाद दी जाएगी।
सुरक्षा बलों की सख्ती से नक्सली डरे, आठ लाख के इनामी नक्सली ने किया आत्मसमर्पण
इससे पहले, सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और दबाव के चलते बीजापुर में आठ लाख रुपये के इनामी नक्सली माचा सोमैया ने शनिवार को तेलंगाना पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। माचा सोमैया डिविजनल कमेटी का सदस्य था और तेलंगाना के भूपालपल्ली मंडल के पंबापुर गांव का रहने वाला है।
क्यों किया आत्मसमर्पण?
आत्मसमर्पित नक्सली माचा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के लगातार ऑपरेशन, नए कैंपों की स्थापना और बढ़ते विकास कार्यों के चलते नक्सली संगठनों का जनाधार कमजोर हुआ है। वर्ष 2024 में ही 200 से अधिक नक्सली मारे गए हैं, जिनमें कई बड़े नेता भी शामिल हैं। बढ़ते दबाव और खराब स्वास्थ्य के कारण माचा ने संगठन से अनुमति लेकर आत्मसमर्पण करने का फैसला किया।
नक्सल प्रभाव में गिरावट:
माचा सोमैया ने कहा कि सुरक्षा बलों की बढ़ती सक्रियता और सरकार द्वारा संचालित विकास योजनाओं के कारण नक्सलियों का प्रभाव पहले से कम हुआ है। कई अन्य नक्सली भी आत्मसमर्पण का मन बना रहे हैं।
सुरक्षा बलों का अभियान जारी:
बीजापुर में चल रहे ऑपरेशन से यह स्पष्ट है कि सुरक्षा बल नक्सल उन्मूलन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकार के विकास कार्य और सुरक्षा बलों की सख्ती के कारण माओवादी संगठन कमजोर पड़ रहा है।