प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान भव्य धार्मिक अनुष्ठानों की तैयारियां जोरों पर हैं। सेक्टर-छह स्थित बजरंगदास मार्ग पर मौनी बाबा का भव्य शिविर तैयार किया जा रहा है, जहां 5.51 करोड़ रुद्राक्ष और 11,000 त्रिशूल से द्वादश ज्योतिर्लिंग का भव्य श्रृंगार किया जाएगा।
इसके अलावा, 108 हवन कुंडों में 125 करोड़ आहुतियां और 11 करोड़ वैदिक मंत्रों के उच्चारण से संपूर्ण कुंभ क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत होगा।
हिंदू राष्ट्र संकल्प के साथ विशेष यज्ञ की तैयारी
गौरीगंज, अमेठी से आए बाल ब्रह्मचारी स्वामी अभय चैतन्य फलाहारी उर्फ मौनी बाबा महाराज ने बताया कि वह 10,000 गांवों की पैदल यात्रा कर कुंभ में पहुंचे हैं। उनका उद्देश्य महाकुंभ को भव्य और आस्था से परिपूर्ण बनाना है। साथ ही, भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के संकल्प के साथ एक विशेष यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।
बाबा के अनुसार, 13 जनवरी को प्रथम स्नान के दिन वे शिविर से लेटते हुए संगम स्नान करने जाएंगे।
त्रिशूल की दीवारें और रुद्राक्ष की मालाएं बनी आकर्षण का केंद्र
शिविर में बनी त्रिशूल की दीवारें और बोरियों में रखी गई रुद्राक्ष की मालाएं श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। राहगीर यहां आकर भव्यता को निहार रहे हैं और तस्वीरें खिंचवा रहे हैं।
महाकुंभ की सुरक्षा: प्रयागराज जंक्शन पर पहली बार कोरस कमांडो तैनात
महाकुंभ के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रयागराज जंक्शन पर कोरस कमांडो की पहली बार तैनाती की गई है। आरपीएफ के महानिरीक्षक अमिय नंदन सिन्हा ने शुक्रवार को स्टेशन का निरीक्षण कर सुरक्षा का जायजा लिया। जंक्शन पर 1100 आरपीएफ कर्मियों की तैनाती की गई है।
महाकुंभ 2025 का आधिकारिक एक्स अकाउंट सस्पेंड
शुक्रवार दोपहर महाकुंभ 2025 का आधिकारिक एक्स (Twitter) अकाउंट अचानक सस्पेंड कर दिया गया। इसके चलते कुंभ से जुड़ी सभी अपडेट्स गायब हो गईं। अकाउंट हैक होने की चर्चा रही, हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।
महाकुंभ पर होगा शोध, जल-मौसम-कचरा प्रबंधन पर अध्ययन
महाकुंभ के दौरान धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक पहलुओं, संगम जल, मौसम और कचरा प्रबंधन पर शोध किया जाएगा। बेंगलुरु विश्वविद्यालय, मेला प्रशासन और अन्य संस्थानों के साथ मिलकर सीवेज और कचरा निस्तारण की प्रक्रिया पर विस्तृत अध्ययन करेगा।
महाकुंभ 2025: एक दिव्य आयोजन
महाकुंभ 2025 में आध्यात्मिकता, सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के कई नए मानदंड स्थापित किए जाएंगे। संगम नगरी इस आयोजन के माध्यम से वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति और परंपरा की भव्यता को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है।