एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च: रोजरी की महारानी महागिरजाघर, कुनकुरी
जशपुर का महत्त्व और चर्च का विशेष स्थान
जशपुर, छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध शहर के रूप में, ईसाई धर्मावलंबियों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां से 50 किलोमीटर दूर कुनकुरी में स्थित रोजरी की महारानी महागिरजाघर एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है। यह महागिरजाघर न केवल अपनी भव्य वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक सौहार्द का प्रतीक भी है। इसकी विशाल संरचना एक ही बीम पर आधारित है, जो इसे अद्वितीय बनाती है। चर्च में सात छत और सात दरवाजे हैं, जो इसके धार्मिक महत्त्व को दर्शाते हैं।
निर्माण की कहानी
रोजरी की महारानी महागिरजाघर का निर्माण 17 वर्षों में पूरा हुआ। इसकी आधारशिला 1962 में रखी गई और 1979 में इसका अंतिम चरण पूर्ण हुआ। 1982 में इस चर्च का उद्घाटन किया गया। निर्माण कार्य में स्थानीय आदिवासी मजदूरों ने मुख्य भूमिका निभाई। चर्च की अनूठी बनावट बाइबिल में वर्णित तथ्यों पर आधारित है।
लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र
इस चर्च में एक साथ 10,000 श्रद्धालु प्रार्थना कर सकते हैं। क्रिसमस के अवसर पर देश-विदेश से लोग यहां आते हैं। महीनों पहले से ही चर्च में क्रिसमस की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। चर्च के अंदर और बाहर पारंपरिक झांकियां सजाई जाती हैं, जो ईसा मसीह के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाती हैं।
क्रिसमस की विशेष तैयारियां
क्रिसमस से एक महीने पहले, 15-16 गांवों को झांकियां बनाने का जिम्मा सौंपा जाता है। ये झांकियां समाज को संदेश देने का माध्यम होती हैं। चर्च में प्रभु यीशु के जन्म के एक घंटे पहले विशेष पूजा प्रारंभ होती है। यीशु के आगमन के बाद उन्हें चरनी में रखा जाता है। चर्च के मुख्य परिसर में प्रमुख चरनी बनाई जाती है, जहां लोग आकर इस सजीव दृश्य का आनंद लेते हैं।
इस वर्ष का आयोजन और मणिपुर हिंसा की छाया
इस बार मणिपुर हिंसा के कारण चर्च में भव्य आयोजन नहीं किया गया। आयोजन की बचत राशि प्रभावितों की सहायता और पुनर्वास के लिए दान कर दी गई। सादगी से मनाए गए क्रिसमस में भी श्रद्धालुओं की आस्था और उल्लास में कोई कमी नहीं रही।
महागिरजाघर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व
रोजरी की महारानी महागिरजाघर धार्मिक सौहार्द और ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार का केंद्र है। इसकी बेजोड़ वास्तुकला और विशालता श्रद्धालुओं के दिलों को छू लेती है। यह महागिरजाघर जशपुर जिले के 2 लाख से अधिक अनुयायियों की आस्था का प्रतीक है।
निष्कर्ष
कुनकुरी का महागिरजाघर न केवल ईसाई धर्मावलंबियों के लिए, बल्कि हर धर्म और संस्कृति के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। इसकी भव्यता, वास्तुकला, और धार्मिक महत्त्व इसे एक अद्वितीय स्थल बनाते हैं। क्रिसमस के मौके पर यहां की झांकियां, प्रार्थनाएं, और उत्सव न केवल आध्यात्मिकता का संदेश देते हैं, बल्कि समाज में एकता और प्रेम का संदेश भी फैलाते हैं।