स्कूलों में शिक्षकों के बिना बच्चों के भविष्य अंधकार में..!
कोटा ब्लॉक के शासकीय प्राथमिक शाला विचारपुर में शिक्षकों की अनुपस्थिति लगातार होने के कारण बच्चे विद्यालय में नहीं पहुंचते जिसकी शिकायत मीडिया को ग्रामीणों के द्वारा मिली रही थी जब वहां मीडिया की टीम पहुंची तो पता चला कि तीन बच्चे स्कूल का ताला खोलकर बैठ रहे थे जब हमने बच्चों से पूछा की प्रार्थना हो गई तो उन्होंने कहा कि नहीं हुई है जबकि शासन के द्वारा यह नियम है 10:00 तक विद्यालय खोलकर बच्चों को प्रार्थना में राष्ट्रीय गीत गाया जाता लेकिन कई स्कूले ऐसी है की जो शासन की नियमों का पालन ही नहीं करना चाहते है और आपको बता दें कि बच्चे 11:00 बजे तक शिक्षकों का इंतजार करते रहे फिर कहीं जाकर विद्यालय के सामने एक बस रूकती है उसमें से एक शिक्षिका उतर कर विद्यालय में प्रवेश करती है मीडिया की टीम जब उनसे बात करनी चाही तो उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया इससे यह माना जा सकता है कि यह रोज की बात है अब आप ही सोचिए की शासन के द्वारा 13 बच्चों के लिए दो शिक्षकों को प्राथमिक शाला विचारपुर में रखा गया है फिर भी उस तेरह बच्चे शिक्षकों से वंचित रह रहे ना तो शिक्षक पढ़ाई पर ध्यान देते और ना तो टाइम से स्कूल आते हैं और उच्च अधिकारी इस पर कोई संज्ञान नहीं लेते जिससे शिक्षक मनमानी करते रहते हैं वही दूसरे शिक्षक प्यारेलाल कुजूर प्रधान पाठक आते ही नहीं है इसकी शिकायत कोटा एसडीएम पीयूष तिवारी से की गई है अब यह देखना होगा की मनमानी करने वाले शिक्षक पर क्या कार्रवाई होती है
स्कूलों के सफल संचालन के लिए अपने दायित्वों का पालन नहीं करते अधिकारी
आपको विदित होगा की शासन द्वारा योग्यता के अनुरूप अधिकारियों को अपने-अपने दायित्वों का निर्वहन करना होता है इसी तरह शिक्षा विभाग के कोटा ब्लॉक में एक खंड शिक्षा अधिकारी है जिसके अधीनस्थ 51 संकुल समन्वय होते हैं और उनके अंतर्गत 503 प्रधान पाठक हैं उसके बाद भी स्कूलों का सही संचालन नहीं होना यह समझ से परे हैं और संकुल समन्वय का जिम्मा होता है कि कर्मचारियों से नियमों का पालन करते हुए समय पर कार्यों को संपादित करना होता है और जो कर्मचारी नियमों का पालन नहीं करते उनका उच्च अधिकारियों से शिकायत कर कार्यवाही का प्रावधान होता है लेकिन जब जिम्मेदार अधिकारी ही नियमों का पालन नहीं करते तो उनके अधीनस्थ कर्मचारी नियमों का पालन कहां से करें
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