छत्तीसगढ़ में करोड़ों साल पुराने समुद्री जीवाश्मों को बचाने की कवायद तेज…!

राजेन्द्र देवांगन
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छत्तीसगढ़ में करोड़ों साल पुराने समुद्री जीवाश्मों को बचाने की कवायद तेज…!
मनेंद्रगढ़: हंसदेव नदी के किनारे पर 29 करोड़ साल पुराने समुद्री जीवों और वनस्पतियों के जीवाश्म पूर्व में मिले हैं. 29 करोड़ साल पुराने जीवाश्म होने की पुष्टि खुद बीरबल साहनी संस्थान की ओर से की गई. लखनऊ की बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ने जांच के बाद इस बात की पुष्टि की थी कि जो जीवाश्म के अवशेष मिले हैं वो वास्तव में 29 करोड़ साल पहले के हैं. हंसदेव नदी के किनारे मिले जीवाश्म के अवशेषों का डेटा जुटाने के लिए रायपुर से बायो डायवर्सिटी बोर्ड की एक टीम भी आई थी. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने साल 1982 में इन जीवाश्मों को नेशनल जियोलॉजिकल मोन्यूमेंट्स में शामिल कर लिया.

भारत में हैं पांच फॉसिल्स पार्क: 

करोड़ों साल पहले जीवाश्मों की पुष्टि होने के बाद फॉसिल्स को गोंडवाना की सुपर ग्रुप पत्थर की चट्टानों की श्रेणी में रखा गया. जहां पर फॉसिल्स वाले एरिया था उनको विकसित करने का फैसला लिया गया. मनेंद्रगढ़ के अलावे भारत में इस वक्त चार और फॉसिल्स पार्क हैं. पहला फॉसिल्स पार्क है सिक्किम के खेमगांव में, दूसरा पार्क है झारखंड के राजहरा में, तीसरा पार्क है अरुणाचल के सुबनसिरी में और चौथा है पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में है.

29 करोड़ साल धरोहर को रखना है सुरक्षित: 

फॉसिल्स पार्क को जितना सुरक्षित रखना जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के लिए जरुरी है उतना ही जरूरी लोगों के लिए भी है. मनेंद्रगढ़ में समुद्री जीवाश्मों को देखने आने वाले लोग जिस बेदर्दी से इन जीवाश्मों को पैरों और हाथों से चोट पहुंचा रहे हैं उससे ये धरोहर जल्द ही खत्म हो सकती है. जरुरत है इस धरोहर को संवारने और संजोने का.

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