सरगुज़ा। सरगुजा जिले का लखनपुर तहसील कार्यालय हमेशा किसी ना किसी मामलों को लेकर सुर्खियों में रहता है। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है जहां आवेदकगण के हस्ताक्षर के बिना चार माह तक तहसील कार्यालय लखनपुर में फर्जी प्रकरण चलाया गया। जब पीड़ित के द्वारा प्रकरण के नकल मांगे गए तो तहसीलादार द्धारा आनन -फानन में प्रकरण को खारिज कर दिया गया।
पक्षकर जितेंद्र सिंह ने प्रभारी तहसीलदार नीरज कौशिक पर आरोप लगाते हुए कहा कि नामांतरण को लेकर जब समाचारपत्रों में खबर प्रकाशित होने के बाद कार्यालय में प्रभारी तहसीलदार नीरज कौशिक के द्वारा जितेंद्र सिंह को बुलाकर डराया धमकाया गया ,साथ ही साथ उन्होंने बताया कि लखनपुर तहसील कार्यालय में आवेदक के हस्ताक्षर नहीं होने के बाद भी 4 महीने तक लखनपुर तहसील कार्यालय में प्रकरण चलाया गया। और तहसील कार्यालय में प्रकरण चलाकर मानसिक रूप से परेशान किया गया।
जब पीड़ित जितेंद्र सिंह के द्वारा प्रकरण का नकल मांगा गया तो , नकल उपलब्ध नहीं कराया गया। और प्रकरण को भी खारिज कर दिया गया। जिसे लेकर पीड़ित जितेंद्र सिंह के द्वारा कलेक्ट्रेट में आवेदन दे प्रकरण के नकल की मांग की गई जिस पर लखनपुर तहसील कार्यालय से आधे अधूरे नकल उपलब्ध कराए गए। जीतेंद्र सिंह ने बताया गया कि झारखंड के रहने वाले आठ लोगों के नाम से लखनपुर तहसील कार्यालय में राजस्व रिकार्ड एवं बी वन में नाम दर्ज किए जाने आवेदन किया गया था। आवेदन में आवेदकगणों का हस्ताक्षर ही नहीं थे। और उनके तहसील कार्यालय में आए बिना ही प्रकरण चल रहा था।जब इस आवेदन का नकल पीड़ित जितेंद्र सिंह के द्वारा मांगा गया तो देने से इनकार कर दिया गया।
वही पक्ष का जितेंद्र सिंह के द्वारा पूर्व में तहसीलदार के द्वारा सिविल न्यायालय में मामला विचाराधीन होने के उपरांत भी नामांतरण किए जाने को लेकर मोटी रकम लेकर नामांतरण करने का आरोपी लगाया गया था। जिससे नाराज तहसीलदार के द्वारा डराया धमकाया जा रहा है जिससे प्रतीत होता है की तहसील न्यायालय में पक्षकारों के प्रति अधिकारियों द्वारा डरा धमका कर आदेश पारित कर दिया जा रहा है इसी तरह से और भी कई मामले धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं।