छत्तीसगढ़

गरीब घर के बच्चे बीच में क्यों छोड़ रहे पढ़ाई… सरकार करेगी जांच

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ड्रॉपआउट बच्चों के पालकों से बात करेंगे अधिकारी

शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत छत्‍तीसगढ़ में हर साल हजारों गरीब परिवार के बच्‍चों का प्राइवेट स्‍कूलों में दाखिला होता है। इन बच्‍चों की पढ़ाई का खर्च सरकार वहन करती है। इसके बावजूद ज्‍यादातर बच्‍चे एक या दो साल में पढ़ाई छोड़ देते (ड्राप आउट) हैं। यह मामला अब सरकार के संज्ञान में आया है। पता चला है कि ऐसा बड़े और नामी स्‍कूलों में ज्‍यादा हो रहा है। वहां पहले साल तो बच्‍चों का दाखिला होता जाता है, लेकिन आगे की क्‍लास में बच्‍चे नहीं पढ़ते हैं। सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए इसकी पड़ताल शुरू कर दी है। एक दिन पहले स्‍कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने प्रदेश के सभी कलेक्‍टरों को पत्र जारी करके आरटीई के बच्‍चों की ड्राप आउट पर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही कलेक्‍टरों को पूरे पांच साल की रिपोर्ट की समीक्षा करने के लिए कहा है।

आरटीई में ड्राप आउट के सही कारणों का पता लगाने के लिए सरकार ने अब सर्वे करने का फैसला किया है। स्‍कूल शिक्षा विभाग के अफसरों के अनुसार यह सर्वे सरकारी स्‍कूल के शिक्षकों के माध्‍यम से कराया जाएगा। प्रत्‍येक शिक्षक को आरटीई में ड्राप आउट हुए बच्‍चों के पालकों का मोबाइल नंबर दिया जाएगा। शिक्षक पालकों से बात करके पता लगाएंगे कि बच्‍चा स्‍कूल क्‍यों नहीं जा रहा है। इसके पीछे की वजह क्‍या है। क्‍या वे पारिवारिक कारणों से स्‍कूल नहीं जा रहे हैं या स्‍कूल प्रबंधन इसके लिए जिम्‍मेदार है।

 

7 जिलों में 16 हजार बच्‍चों को मिला दाखिला
आरटीई के तहत दाखिला लॉटरी के तहत होता है। फिलहाल 7 जिलों  रायपुर, दुर्ग,  बिलासपुर, राजनांदगांव, कवर्धा, जशपुर और जगदलपुर के लिए लॉटरी निकाली जा चुकी है। इसमें कुल 16 हजार बच्‍चों का दाखिला होगा। इनमें  रायपुर में 5 हजार 126 आरक्षित सीटों के विरूद्ध 4 हजार 655, दुर्ग में 4 हजार 293 सीटों के विरूद्ध 3 हजार 462,  बिलासपुर में 4 हजार 558 सीटों के विरूद्ध 3 हजार 609, राजनांदगांव में एक हजार 703 सीटों के विरूद्ध एक हजार 471, कवर्धा में एक हजार 351 सीटों के विरूद्ध एक हजार 242, जशपुर में एक हजार 252 सीटों के विरूद्ध 895 और जगदलपुर में 761 सीटों के विरूद्ध 702 विद्यार्थियों का चयन हुआ है।

 

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